श्रीमद् भागवत पुराण के छठवें दिन हुआ रुक्मिणी विवाह:भोपाल के चुनाभट्टी में आयोजित कथा का आज होगा समापन

भोपाल के चुनाभट्टी में हो रही श्रीमद् भागवत पुराण के छठवें दिन रुक्मिणी विवाह का आयोजन किया गया। संगीतमय कथा में कथा वाचक ने मधुर गीतों से भक्तों को भक्तिरस में स्नान कराया। 18 सितंबर से 24 सितंबर के मध्य चुनाभट्टी ग्राम में श्रीमद् भागवत पुराण का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें सोमवार को कथा वाचक मोहन शास्त्री ने रुक्मणी विवाह का सुंदर प्रसंग सुनाया। डॉ. अनिल भार्गव (वायु* ) ने बताया कि विवाह पूजन में भाजपा प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी, प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा, सुनील यादव, आयोजक उमेश यादव, राजू अनेजा, विनोद प्रजापति, चंद्रभान यादव, महेश कुकरेजा, राधेश्याम विश्वकर्मा, गजनानंद यादव, राकेश मालवीय, अनिल यादव, रमेश यादव, सूरज घोंसले, सीमा शर्मा, मंजीत कौर, नमिता यादव सहित अन्य मौजूद रहे। महाराज जी ने विवाह की कथा में बताया कि जब शिशुपाल विवाह के लिए द्वार पर आया तभी कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया। जब रुक्मिणी के भाई रुक्म को पता चला तो वह अपने सैनिकों के साथ कृष्ण के पीछे गया। फिर श्रीकृष्ण और रुक्म के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें द्वारिकाधीश विजयी हुए। इसके बाद श्रीकृष्ण रुक्मिणी को लेकर द्वारिका आ गए और दोनों ने विवाह कर लिया।

श्रीमद् भागवत पुराण के छठवें दिन हुआ रुक्मिणी विवाह:भोपाल के चुनाभट्टी में आयोजित कथा का आज होगा समापन
भोपाल के चुनाभट्टी में हो रही श्रीमद् भागवत पुराण के छठवें दिन रुक्मिणी विवाह का आयोजन किया गया। संगीतमय कथा में कथा वाचक ने मधुर गीतों से भक्तों को भक्तिरस में स्नान कराया। 18 सितंबर से 24 सितंबर के मध्य चुनाभट्टी ग्राम में श्रीमद् भागवत पुराण का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें सोमवार को कथा वाचक मोहन शास्त्री ने रुक्मणी विवाह का सुंदर प्रसंग सुनाया। डॉ. अनिल भार्गव (वायु* ) ने बताया कि विवाह पूजन में भाजपा प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी, प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा, सुनील यादव, आयोजक उमेश यादव, राजू अनेजा, विनोद प्रजापति, चंद्रभान यादव, महेश कुकरेजा, राधेश्याम विश्वकर्मा, गजनानंद यादव, राकेश मालवीय, अनिल यादव, रमेश यादव, सूरज घोंसले, सीमा शर्मा, मंजीत कौर, नमिता यादव सहित अन्य मौजूद रहे। महाराज जी ने विवाह की कथा में बताया कि जब शिशुपाल विवाह के लिए द्वार पर आया तभी कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया। जब रुक्मिणी के भाई रुक्म को पता चला तो वह अपने सैनिकों के साथ कृष्ण के पीछे गया। फिर श्रीकृष्ण और रुक्म के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें द्वारिकाधीश विजयी हुए। इसके बाद श्रीकृष्ण रुक्मिणी को लेकर द्वारिका आ गए और दोनों ने विवाह कर लिया।