मानव जीवन केवल मोक्ष प्राप्ति के लिए है-संत रामपाल

छत्तीसगढ़ संवाददाता दुर्ग, 4 मार्च। जगद्गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में रविवार को एलईडी के माध्यम से विशाल जिला स्तरीय सत्संग का आयोजन सतनाम भवन दुर्ग में किया गया। दुर्ग जिला के अलावा अन्य क्षेत्रों से आए हजारों श्रद्धालुगण सत्संग का श्रवण किया। सत्संग की आधी घड़ी तप के वर्ष हजार तो भी बराबर है, नहीं कहे कबीर विचार अर्थात हमारी सत्संग की आधी घड़ी हजारों तप से भी बढक़र है, क्योंकि सत्संग से आत्मा निर्मल होती है। संत रामपाल जी ने सत्संग के माध्यम से बतलाया कि जो मानव जीवन हमें प्राप्त है, वह केवल मोक्ष प्राप्ति के लिए है। आज के इस आधुनिक युग में मानव का जीवन माया के चक्कर में इतना लिप्त हो गया है कि सही गलत की दिशा भूल चुका है और इसी सही दिशा को सत्संगों के माध्यम से बताया जाता है कि मानव जीवन अनमोल है भक्ति सभी करते हैं पर भक्ति क्या है? कोई जानने की कोशिश ही नहीं करता हमारे सभी सदग्रंथ जैसे गीता ,भागवत, वेद, पुराण, कुरान, बाइबिल, गुरुग्रंथ आदि उस पूर्ण ब्रह्म परमात्मा की महिमा गाते हैं, जिसका आज तक किसी को पता ही नहीं है यही कारण है कि आज का मानव समाज दुखी है, और सुख की कामना के लिए विभिन्न प्रकार के विकारों से लिप्त हुआ माया के लिए चोरी ,ठगी नशा, भ्रष्टाचार जैसे कर्म कर रहे हैं। संत रामपाल जी के शिष्य इन विकारों से कोसों दूर है, और यही संदेश संत रामपाल जी शास्त्रों के आधार पर देते हैं कि मानव जन्म पाकर जो रटे नहीं हरि नाम जैसे कुआं जल बिना फिर बनवाया किस काम इन मंगल प्रवचनों से ही मानव जीवन को उद्देश्य का पता चलता है कि मानव जीवन सद भक्ति व मोक्ष प्राप्ति के लिए है। विभिन्न प्रकार की कुरीतियों, आडंबर ,पाखंडवाद से कैसे बचा जा सकता है यह सब अनमोल सत्संग के माध्यम से सभी श्रद्धालुओं को बतलाया गया। सत्संग का आयोजन संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा किया गया, जिसमें जिला सेवादार, ब्लॉक सेवादार , क्षेत्रीय सेवादार और विभिन्न गणमान्य नागरिक जन उपस्थित थे।

मानव जीवन केवल मोक्ष प्राप्ति  के लिए है-संत रामपाल
छत्तीसगढ़ संवाददाता दुर्ग, 4 मार्च। जगद्गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में रविवार को एलईडी के माध्यम से विशाल जिला स्तरीय सत्संग का आयोजन सतनाम भवन दुर्ग में किया गया। दुर्ग जिला के अलावा अन्य क्षेत्रों से आए हजारों श्रद्धालुगण सत्संग का श्रवण किया। सत्संग की आधी घड़ी तप के वर्ष हजार तो भी बराबर है, नहीं कहे कबीर विचार अर्थात हमारी सत्संग की आधी घड़ी हजारों तप से भी बढक़र है, क्योंकि सत्संग से आत्मा निर्मल होती है। संत रामपाल जी ने सत्संग के माध्यम से बतलाया कि जो मानव जीवन हमें प्राप्त है, वह केवल मोक्ष प्राप्ति के लिए है। आज के इस आधुनिक युग में मानव का जीवन माया के चक्कर में इतना लिप्त हो गया है कि सही गलत की दिशा भूल चुका है और इसी सही दिशा को सत्संगों के माध्यम से बताया जाता है कि मानव जीवन अनमोल है भक्ति सभी करते हैं पर भक्ति क्या है? कोई जानने की कोशिश ही नहीं करता हमारे सभी सदग्रंथ जैसे गीता ,भागवत, वेद, पुराण, कुरान, बाइबिल, गुरुग्रंथ आदि उस पूर्ण ब्रह्म परमात्मा की महिमा गाते हैं, जिसका आज तक किसी को पता ही नहीं है यही कारण है कि आज का मानव समाज दुखी है, और सुख की कामना के लिए विभिन्न प्रकार के विकारों से लिप्त हुआ माया के लिए चोरी ,ठगी नशा, भ्रष्टाचार जैसे कर्म कर रहे हैं। संत रामपाल जी के शिष्य इन विकारों से कोसों दूर है, और यही संदेश संत रामपाल जी शास्त्रों के आधार पर देते हैं कि मानव जन्म पाकर जो रटे नहीं हरि नाम जैसे कुआं जल बिना फिर बनवाया किस काम इन मंगल प्रवचनों से ही मानव जीवन को उद्देश्य का पता चलता है कि मानव जीवन सद भक्ति व मोक्ष प्राप्ति के लिए है। विभिन्न प्रकार की कुरीतियों, आडंबर ,पाखंडवाद से कैसे बचा जा सकता है यह सब अनमोल सत्संग के माध्यम से सभी श्रद्धालुओं को बतलाया गया। सत्संग का आयोजन संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा किया गया, जिसमें जिला सेवादार, ब्लॉक सेवादार , क्षेत्रीय सेवादार और विभिन्न गणमान्य नागरिक जन उपस्थित थे।