भाजपा का चुनावी बॉन्ड विधेयक सुप्रीम कोर्ट ने माना असंवैधानिक

छत्तीसगढ़ संवाददाता रायगढ़, 16 फरवरी। कांग्रेस भवन रायगढ़ में जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला की उपस्थिति में कांग्रेस जनों ने भाजपा के 2017 में सदन में पेश चुनाव बांड योजना जो वित्त विधेयक के रूप में सदन में पेश की गई थी, उसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधनिक माने जाने का निर्णय का स्वागत कर खुशियां मनाई गई। ज्ञात हो कि तब राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने संसद के भीतर व बाहर इस विधेयक का जबरदस्त विरोध किया था। मोदी सरकार की इस काला धन रूपांतरण योजना को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया व बड़े पैमाने पर भाजपा के भ्रष्टाचार को उजागर किया है। कांग्रेसजनों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा की नीतियों पर विरोध दर्ज किया व भाजपा के इस असंवैधानिक आचरण का सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्याय संगत संज्ञान लिए जाने पर खुशी जाहिर की। अनिल शुक्ला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने आज उन्हीं भावनाओं को दोहराया जो उस समय कांग्रेस और सहयोगियों ने, ऑन रिकॉर्ड बार-बार व्यक्त की हैं। पहला, यह योजना असंवैधानिक हैय ऐसा उपाय जो मतदाताओं से यह छुपाता है कि राजनीतिक दलों को कैसे मलामाल बनाता है, लोकतंत्र में उचित नहीं ठहराया जा सकता है। इस प्रकार, यह सीधे तौर पर संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन करता है। दूसरा, सरकार का यह दावा कि उसने काले धन पर अंकुश लगाया, बिलकुल बेबुनियाद व निराधार था। दरअसल, आरटीआई के प्रावधानों के बिना इस योजना को लागू करके वह काले धन को सफेद करने को बढ़ावा दे रही थी। तीसरा, वित्तीय व्यवस्थाएं राजनीतिक दलों के बीच पारस्परिक आदान-प्रदान का कारण बन सकती हैं। मोदी सरकार और उनके तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आरबीआई, चुनाव आयोग, भारत की संसद, विपक्ष और भारत के लोगों के विरोध को कुचलते हुए चुनावी बांड पेश करने के असंवैधानिक फैसले का बार-बार बचाव किया। दस्तावेज, जो अब सार्वजनिक पटल पर हैं, उनसे ये पता चला है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने चेतावनी दी थी कि चुनावी बांड काले धन को राजनीति में ला सकते हैं और मुद्रा को अस्थिर कर सकते हैं। लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे खारिज कर दिया। कुछ खोजी पत्रकारिता द्वारा सामने आए एक गोपनीय नोट से यह भी पता चला कि मोदी सरकार के वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने चुनावी बांड योजना के विरोध को कम करने के प्रयास में जानबूझकर चुनाव आयोग को गुमराह किया। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए आरोप लगाया कि चुनावी बांड योजना कुछ और नहीं, बल्कि भाजपा द्वारा अपना खजाना भरने के लिए बनाई गई एक काला धन-सफेद करो योजना थी। इस सरकार की सभी योजनाओं की तरह, चुनाव बांड योजना भी हमेशा सत्तारुढ़ शासन को एकमात्र लाभ पहुंचाने के लिए डिजाइन की गई थी। यह इस तथ्य से स्पष्ट था कि उसके बाद हर साल भाजपा ने इस योजना के माध्यम से सभी राजनीतिक दान का 95: हासिल किया। अब, प्रश्न उनसे पूछा जाना चाहिएय क्या वे इस स्पष्ट फैसले से बचने के लिए इसका अनुपालन करेंगे या कोई अन्य अध्यादेश लाएंगे या नहीं? कार्यक्रम में मुख्य रोओ से जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला, महामंत्री शाखा यादव, दयाराम धुर्वे,विकास ठेठवार, लखेश्वर मिरि, सैय्यद इम्तियाज, आशीष शर्मा, कामता पटेल,शारदा गहलोत, रिंकी पाण्डेय, विनोद कपूर,वसीम खान, लता खूंटे, बिनु बेगम,गोरेलाल बरेठ राजेंद्र यादव, दीपक भट्ट, राजू बोहिदार, उपस्थित थे।

भाजपा का चुनावी बॉन्ड विधेयक सुप्रीम कोर्ट ने माना असंवैधानिक
छत्तीसगढ़ संवाददाता रायगढ़, 16 फरवरी। कांग्रेस भवन रायगढ़ में जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला की उपस्थिति में कांग्रेस जनों ने भाजपा के 2017 में सदन में पेश चुनाव बांड योजना जो वित्त विधेयक के रूप में सदन में पेश की गई थी, उसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधनिक माने जाने का निर्णय का स्वागत कर खुशियां मनाई गई। ज्ञात हो कि तब राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने संसद के भीतर व बाहर इस विधेयक का जबरदस्त विरोध किया था। मोदी सरकार की इस काला धन रूपांतरण योजना को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया व बड़े पैमाने पर भाजपा के भ्रष्टाचार को उजागर किया है। कांग्रेसजनों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा की नीतियों पर विरोध दर्ज किया व भाजपा के इस असंवैधानिक आचरण का सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्याय संगत संज्ञान लिए जाने पर खुशी जाहिर की। अनिल शुक्ला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने आज उन्हीं भावनाओं को दोहराया जो उस समय कांग्रेस और सहयोगियों ने, ऑन रिकॉर्ड बार-बार व्यक्त की हैं। पहला, यह योजना असंवैधानिक हैय ऐसा उपाय जो मतदाताओं से यह छुपाता है कि राजनीतिक दलों को कैसे मलामाल बनाता है, लोकतंत्र में उचित नहीं ठहराया जा सकता है। इस प्रकार, यह सीधे तौर पर संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन करता है। दूसरा, सरकार का यह दावा कि उसने काले धन पर अंकुश लगाया, बिलकुल बेबुनियाद व निराधार था। दरअसल, आरटीआई के प्रावधानों के बिना इस योजना को लागू करके वह काले धन को सफेद करने को बढ़ावा दे रही थी। तीसरा, वित्तीय व्यवस्थाएं राजनीतिक दलों के बीच पारस्परिक आदान-प्रदान का कारण बन सकती हैं। मोदी सरकार और उनके तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आरबीआई, चुनाव आयोग, भारत की संसद, विपक्ष और भारत के लोगों के विरोध को कुचलते हुए चुनावी बांड पेश करने के असंवैधानिक फैसले का बार-बार बचाव किया। दस्तावेज, जो अब सार्वजनिक पटल पर हैं, उनसे ये पता चला है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने चेतावनी दी थी कि चुनावी बांड काले धन को राजनीति में ला सकते हैं और मुद्रा को अस्थिर कर सकते हैं। लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे खारिज कर दिया। कुछ खोजी पत्रकारिता द्वारा सामने आए एक गोपनीय नोट से यह भी पता चला कि मोदी सरकार के वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने चुनावी बांड योजना के विरोध को कम करने के प्रयास में जानबूझकर चुनाव आयोग को गुमराह किया। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए आरोप लगाया कि चुनावी बांड योजना कुछ और नहीं, बल्कि भाजपा द्वारा अपना खजाना भरने के लिए बनाई गई एक काला धन-सफेद करो योजना थी। इस सरकार की सभी योजनाओं की तरह, चुनाव बांड योजना भी हमेशा सत्तारुढ़ शासन को एकमात्र लाभ पहुंचाने के लिए डिजाइन की गई थी। यह इस तथ्य से स्पष्ट था कि उसके बाद हर साल भाजपा ने इस योजना के माध्यम से सभी राजनीतिक दान का 95: हासिल किया। अब, प्रश्न उनसे पूछा जाना चाहिएय क्या वे इस स्पष्ट फैसले से बचने के लिए इसका अनुपालन करेंगे या कोई अन्य अध्यादेश लाएंगे या नहीं? कार्यक्रम में मुख्य रोओ से जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला, महामंत्री शाखा यादव, दयाराम धुर्वे,विकास ठेठवार, लखेश्वर मिरि, सैय्यद इम्तियाज, आशीष शर्मा, कामता पटेल,शारदा गहलोत, रिंकी पाण्डेय, विनोद कपूर,वसीम खान, लता खूंटे, बिनु बेगम,गोरेलाल बरेठ राजेंद्र यादव, दीपक भट्ट, राजू बोहिदार, उपस्थित थे।