ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विवि में होली

छत्तीसगढ़ संवाददाता दुर्ग, 24 मार्च। रंगो का पर्व होली पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय दुर्ग के राजऋषि भवन केलाबाड़ी व आनंद सरोवर बघेरा में होली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । होली पर्व के अध्यात्मिक रहस्य को स्पष्ट करते हुए रीटा बहन संचालिका (ब्रह्माकुमारीज दुर्ग) ने बताया कि जब हम प्रतिपल परमात्म संग का अनुभव करते हैं तो परमात्मा के गुण पवित्रता, सुख, शान्ति, आनंद, प्रेम का जीवन में संचार होने लगता है । होली की विशेषता है जलाना, फिर मनाना और फिर मंगल मिलन करना। इन तीन विशेषताओं से यादगार बना हुआ है। क्योंकि पवित्र बनने के लिए पहले पुराने संस्कार, पुरानी स्मृतियाँ सभी को परमात्मा के याद की अग्नि मे जलायेंगे तभी परमात्मा के संग का रंग लगेगा जब परमात्मा के संग का रंग लग जाता है तब हर मनुष्य आत्मा परमात्मा की संतान लगती है व विश्व की सर्व आत्माओं से परमात्म परिवार की महसूसता होने लगती है। परमात्म परिवार होने के कारण हर आत्मा के प्रति शुभ कामना स्वत: ही स्वभाविक संस्कार बन जाती है। इस अवसर पर आत्म स्मृति स्वरूप सभी को गुलाल का तिलक लगाया गया व रंगों के स्थान पर पुष्पों की वर्षा की गयी व रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें कुमारी युक्ति, जागृति, चंद्राणी, मौसमी, रुचिका के द्वारा राधा-कृष्ण संग गोपियों के रास की मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति ने उपस्थित सभाजनों को भाव विभोर कर दिया। इस पर्व को मनाने के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान सेजुड़े हुए एवं अनेक स्थानों से तथा सूदूर ग्रामीण अंचलों से काफी संख्या में लोग उपस्थित हुए मंच संचालन रुपाली बहन व चैतन्य प्रभा बहन ने किया ।

ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विवि में होली
छत्तीसगढ़ संवाददाता दुर्ग, 24 मार्च। रंगो का पर्व होली पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय दुर्ग के राजऋषि भवन केलाबाड़ी व आनंद सरोवर बघेरा में होली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । होली पर्व के अध्यात्मिक रहस्य को स्पष्ट करते हुए रीटा बहन संचालिका (ब्रह्माकुमारीज दुर्ग) ने बताया कि जब हम प्रतिपल परमात्म संग का अनुभव करते हैं तो परमात्मा के गुण पवित्रता, सुख, शान्ति, आनंद, प्रेम का जीवन में संचार होने लगता है । होली की विशेषता है जलाना, फिर मनाना और फिर मंगल मिलन करना। इन तीन विशेषताओं से यादगार बना हुआ है। क्योंकि पवित्र बनने के लिए पहले पुराने संस्कार, पुरानी स्मृतियाँ सभी को परमात्मा के याद की अग्नि मे जलायेंगे तभी परमात्मा के संग का रंग लगेगा जब परमात्मा के संग का रंग लग जाता है तब हर मनुष्य आत्मा परमात्मा की संतान लगती है व विश्व की सर्व आत्माओं से परमात्म परिवार की महसूसता होने लगती है। परमात्म परिवार होने के कारण हर आत्मा के प्रति शुभ कामना स्वत: ही स्वभाविक संस्कार बन जाती है। इस अवसर पर आत्म स्मृति स्वरूप सभी को गुलाल का तिलक लगाया गया व रंगों के स्थान पर पुष्पों की वर्षा की गयी व रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें कुमारी युक्ति, जागृति, चंद्राणी, मौसमी, रुचिका के द्वारा राधा-कृष्ण संग गोपियों के रास की मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति ने उपस्थित सभाजनों को भाव विभोर कर दिया। इस पर्व को मनाने के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान सेजुड़े हुए एवं अनेक स्थानों से तथा सूदूर ग्रामीण अंचलों से काफी संख्या में लोग उपस्थित हुए मंच संचालन रुपाली बहन व चैतन्य प्रभा बहन ने किया ।