करोड़ों खर्च कर बने आदिवासी एकलव्य आवासीय परिसर:न एप्रोच रोड न खेल मैदान, प्राचार्य बोले-जनजातीय विभाग से ही नहीं आ रहा फंड

नेपानगर के सातपायरी स्थित एकलव्य आदर्श आदिवासी शिक्षा परिसर का निर्माण करोड़ों की लागत से इसलिए किया गया ताकि यहां आदिवासी बच्चे बेहतर सुख, सुविधाओं के साथ शिक्षा हासिल करें, लेकिन यहां जनजातीय विभाग की अनदेखी के कारण विद्यार्थियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। शिक्षा परिसर तक पहुंच मार्ग की स्थिति खराब है। आज तक इसका निर्माण नहीं कराया गया। परिसर में बड़ी बड़ी झाड़ियां उग गई है। वहीं इस मामले में प्राचार्य का कहना है कि जनजातीय विभाग की ओर से फंड ही नहीं आ रहा है। फंड के अभाव में व्यवस्थाएं बिगड़ी हुई है। झाड़ियों की सफाई नहीं होने से रात के समय जीव जंतुओं का खतरा बना रहता है। खेल मैदान को लेकर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं जिससे आदिवासी बच्चे खेल सुविधाओं से भी वंचित हैं। प्रबंधन के पास स्कूल, भवन आदि रिपेयरिंग करने का भी कोई पैसा नहीं है। सिर्फ मेस का पैसा आ रहा है। जिसके तहत बच्चों को भोजन वितरण होता है। आवासीय विद्यालय में कक्षा छठवीं से बाहरवीं तक के करीब 414 आदिवासी बच्चे अध्ययनरत हैं जो यहां रहते भी हैं। हर साल 10वीं और 12वीं के बच्चों की सीबीएसई की फीस अदा करना होती है। आदिवासी बच्चों की फीस सरकार भरती है, लेकिन इस बार फंड नहीं होने से पेनल्टी लगने की संभावना अधिक है। फीस जमा करने की आखिरी तारीख 4 अक्टूबर है। प्राचार्य बोले- वरिष्ठ अफसरों को स्थिति से अवगत कराया इस मामले में प्राचार्य रत्नेश कुमार ने कहा-ं वरिष्ठ अफसरों को स्थिति से अवगत कराया गया है। मेस के अलावा किसी प्रकार का फंड हमारे पास नहीं आ रहा है। एप्रोच रोड और पानी की टंकी की राशि स्वीकृत हुई है, लेकिन यह पता नहीं है कि कितनी राशि स्वीकृत हुई है। खेल मैदान जरूरी है, लेकिन उसे बनाने का कोई ऑफिशियल लेटर हमारे पास मौजूद नहीं है। फंड आते ही जो भी कमियां है वह दूर की जाएगी।

करोड़ों खर्च कर बने आदिवासी एकलव्य आवासीय परिसर:न एप्रोच रोड न खेल मैदान, प्राचार्य बोले-जनजातीय विभाग से ही नहीं आ रहा फंड
नेपानगर के सातपायरी स्थित एकलव्य आदर्श आदिवासी शिक्षा परिसर का निर्माण करोड़ों की लागत से इसलिए किया गया ताकि यहां आदिवासी बच्चे बेहतर सुख, सुविधाओं के साथ शिक्षा हासिल करें, लेकिन यहां जनजातीय विभाग की अनदेखी के कारण विद्यार्थियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। शिक्षा परिसर तक पहुंच मार्ग की स्थिति खराब है। आज तक इसका निर्माण नहीं कराया गया। परिसर में बड़ी बड़ी झाड़ियां उग गई है। वहीं इस मामले में प्राचार्य का कहना है कि जनजातीय विभाग की ओर से फंड ही नहीं आ रहा है। फंड के अभाव में व्यवस्थाएं बिगड़ी हुई है। झाड़ियों की सफाई नहीं होने से रात के समय जीव जंतुओं का खतरा बना रहता है। खेल मैदान को लेकर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं जिससे आदिवासी बच्चे खेल सुविधाओं से भी वंचित हैं। प्रबंधन के पास स्कूल, भवन आदि रिपेयरिंग करने का भी कोई पैसा नहीं है। सिर्फ मेस का पैसा आ रहा है। जिसके तहत बच्चों को भोजन वितरण होता है। आवासीय विद्यालय में कक्षा छठवीं से बाहरवीं तक के करीब 414 आदिवासी बच्चे अध्ययनरत हैं जो यहां रहते भी हैं। हर साल 10वीं और 12वीं के बच्चों की सीबीएसई की फीस अदा करना होती है। आदिवासी बच्चों की फीस सरकार भरती है, लेकिन इस बार फंड नहीं होने से पेनल्टी लगने की संभावना अधिक है। फीस जमा करने की आखिरी तारीख 4 अक्टूबर है। प्राचार्य बोले- वरिष्ठ अफसरों को स्थिति से अवगत कराया इस मामले में प्राचार्य रत्नेश कुमार ने कहा-ं वरिष्ठ अफसरों को स्थिति से अवगत कराया गया है। मेस के अलावा किसी प्रकार का फंड हमारे पास नहीं आ रहा है। एप्रोच रोड और पानी की टंकी की राशि स्वीकृत हुई है, लेकिन यह पता नहीं है कि कितनी राशि स्वीकृत हुई है। खेल मैदान जरूरी है, लेकिन उसे बनाने का कोई ऑफिशियल लेटर हमारे पास मौजूद नहीं है। फंड आते ही जो भी कमियां है वह दूर की जाएगी।