हॉस्पिटल बिल के लिए अनिवार्य बीआईएस मानक बनाने के पक्ष में 74 प्रतिशत भारतीय : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 7 अप्रैल । देश में ज्यादातर लोग (74 प्रतिशत) सरकार द्वारा अस्पताल के बिलों में अनिवार्य बीआईएस मानक (भारतीय मानक ब्यूरो) बनाने के पक्ष में हैं। रविवार को जारी एक नई रिपोर्ट में ये बात कही गई है। सोशल कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल्स के अनुसार, अधिकांश लोग बिलिंग फॉर्मेट और अस्पताल के बिलों में विवरण की कमी से खुश नहीं थे। रिपोर्ट में भारत के 305 जिलों में स्थित लगभग 23,000 नागरिकों का सर्वे किया गया, जिसमें 67 प्रतिशत पुरुष थे और 33 प्रतिशत महिलाएं थीं। रिपोर्ट में कहा गया है, कोरोनावायरस महामारी के तीन वर्षों में, अस्पतालों में लोगों के सामने कई तरह कि समस्याएं आईं। बिना स्पष्टीकरण के विवरण और इलाज के अंत में भारी भरकम बिल ने भारत के निजी अस्पतालों के बारे में खराब धारणा बना दी है। इसके अलावा, रिपोर्ट में पाया गया कि 47 प्रतिशत लोगों ने कहा कि खाना, सर्विसेज, कंसल्टेशन, फैसिलिटीज आदि के लिए शुल्क अलग-अलग दिए गए थे। लगभग 43 प्रतिशत ने संकेत दिया कि बिल में खाना और सेवाओं के बारे में विवरण नहीं था, और 10 प्रतिशत ने संकेत दिया कि बिल में कोई विवरण नहीं था, केवल पैकेज चार्जेज का उल्लेख था। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिलिंग में पारदर्शिता से न केवल उपभोक्ताओं को बल्कि स्वास्थ्य बीमा कंपनियों, पैकेज देने वाले नियोक्ताओं और यहां तक कि सरकार को भी मदद मिलेगी।(आईएएनएस)

हॉस्पिटल बिल के लिए अनिवार्य बीआईएस मानक बनाने के पक्ष में 74 प्रतिशत भारतीय : रिपोर्ट
नई दिल्ली, 7 अप्रैल । देश में ज्यादातर लोग (74 प्रतिशत) सरकार द्वारा अस्पताल के बिलों में अनिवार्य बीआईएस मानक (भारतीय मानक ब्यूरो) बनाने के पक्ष में हैं। रविवार को जारी एक नई रिपोर्ट में ये बात कही गई है। सोशल कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकलसर्कल्स के अनुसार, अधिकांश लोग बिलिंग फॉर्मेट और अस्पताल के बिलों में विवरण की कमी से खुश नहीं थे। रिपोर्ट में भारत के 305 जिलों में स्थित लगभग 23,000 नागरिकों का सर्वे किया गया, जिसमें 67 प्रतिशत पुरुष थे और 33 प्रतिशत महिलाएं थीं। रिपोर्ट में कहा गया है, कोरोनावायरस महामारी के तीन वर्षों में, अस्पतालों में लोगों के सामने कई तरह कि समस्याएं आईं। बिना स्पष्टीकरण के विवरण और इलाज के अंत में भारी भरकम बिल ने भारत के निजी अस्पतालों के बारे में खराब धारणा बना दी है। इसके अलावा, रिपोर्ट में पाया गया कि 47 प्रतिशत लोगों ने कहा कि खाना, सर्विसेज, कंसल्टेशन, फैसिलिटीज आदि के लिए शुल्क अलग-अलग दिए गए थे। लगभग 43 प्रतिशत ने संकेत दिया कि बिल में खाना और सेवाओं के बारे में विवरण नहीं था, और 10 प्रतिशत ने संकेत दिया कि बिल में कोई विवरण नहीं था, केवल पैकेज चार्जेज का उल्लेख था। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिलिंग में पारदर्शिता से न केवल उपभोक्ताओं को बल्कि स्वास्थ्य बीमा कंपनियों, पैकेज देने वाले नियोक्ताओं और यहां तक कि सरकार को भी मदद मिलेगी।(आईएएनएस)