रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में सजावट की तैयारी शुरू:नोटों और जेवरातों से होगा श्रृंगार, धनतेरस से पांच दिनों तक होंगे दर्शन

रतलाम के मध्य माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर दीपावली पर्व पर नोटों व सोने-चांदी के आभूषणों से सजेगा। मंदिर को सजाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। सजावट को लेकर भक्त नोट लेकर मंदिर आना शुरू हो गए है। पूरी तरह से सजावट व श्रृंगार के दर्शन धनतेरस से होंगे। मंदिर की सजावट के लिए रतलाम के अलावा जिले समेत बाहर से भी बड़ी संख्या में भक्त नोट व जेवरात मंदिर में देकर जाते है। सजावट के लिए नोट व जेवरात देने का सिलसिला शरद पूर्णिमा से शुरू हो चुका है। धनतेरस के एक दिन पहले तक नोट और अन्य सामग्री सजावट के लिए मंदिर में लाई जाती है। मंदिर को 10, 20, 50, 100 और 500 रुपए के नए नोटों से सजाया जाता है। नोटों का बंधनवार बनाकर पूरे मंदिर में सजावट की जाती है। अभी तक मंदिर में झाबुआ व रतलाम के श्रद्धालु ने सजावट के लिए 10 रुपए से लेकर 50 रुपए तक नए नोटों की गड्‌डी देकर गए हैं। नोटों के मंदिर में आने का सिलसिला शुरू होते ही सजावट की तैयारी भी शुरू हो गई है। पांच दिन तक रहता है श्रृंगार महालक्ष्मी मंदिर में नोट और जेवरातों का श्रृंगार दीपावली के पांचों दिन तक रहेगा। ऐसे में धनतेरस से भक्त महालक्ष्मी के दर्शन के साथ सजावट भी देख पाएंगे। भाईदूज तक यह श्रृंगार रहता है। इसके बाद सभी श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए नोट व अन्य सामग्री लौटाने का क्रम शुरू होगा। टोकन देते है पंडित संजय पुजारी के अनुसार मंदिर में सजावट के लिए दिए जाने वाले नोट व अन्य सामग्री देने वालों का नाम, पता, मोबाइल नंबर साथ में एक पासपोर्ट फोटो लिया जाता है। जिसे रजिस्टर में अंकित कर टोकन दिया जाता है। दीपावली के पांच दिन बाद टोकन नंबर बताकर स्वयं को आना पड़ता है। इसके बाद महालक्ष्मी की प्रसादी के रुपए दी गई सामग्री लौटा दी जाती है। मान्यता है कि श्रृंगार सामग्री वापस लेने के बाद घर की तिजोरी, पूजन स्थान पर रखने से सालभर सुख-समृद्धि बनी रहती है।

रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में सजावट की तैयारी शुरू:नोटों और जेवरातों से होगा श्रृंगार, धनतेरस से पांच दिनों तक होंगे दर्शन
रतलाम के मध्य माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर दीपावली पर्व पर नोटों व सोने-चांदी के आभूषणों से सजेगा। मंदिर को सजाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। सजावट को लेकर भक्त नोट लेकर मंदिर आना शुरू हो गए है। पूरी तरह से सजावट व श्रृंगार के दर्शन धनतेरस से होंगे। मंदिर की सजावट के लिए रतलाम के अलावा जिले समेत बाहर से भी बड़ी संख्या में भक्त नोट व जेवरात मंदिर में देकर जाते है। सजावट के लिए नोट व जेवरात देने का सिलसिला शरद पूर्णिमा से शुरू हो चुका है। धनतेरस के एक दिन पहले तक नोट और अन्य सामग्री सजावट के लिए मंदिर में लाई जाती है। मंदिर को 10, 20, 50, 100 और 500 रुपए के नए नोटों से सजाया जाता है। नोटों का बंधनवार बनाकर पूरे मंदिर में सजावट की जाती है। अभी तक मंदिर में झाबुआ व रतलाम के श्रद्धालु ने सजावट के लिए 10 रुपए से लेकर 50 रुपए तक नए नोटों की गड्‌डी देकर गए हैं। नोटों के मंदिर में आने का सिलसिला शुरू होते ही सजावट की तैयारी भी शुरू हो गई है। पांच दिन तक रहता है श्रृंगार महालक्ष्मी मंदिर में नोट और जेवरातों का श्रृंगार दीपावली के पांचों दिन तक रहेगा। ऐसे में धनतेरस से भक्त महालक्ष्मी के दर्शन के साथ सजावट भी देख पाएंगे। भाईदूज तक यह श्रृंगार रहता है। इसके बाद सभी श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए नोट व अन्य सामग्री लौटाने का क्रम शुरू होगा। टोकन देते है पंडित संजय पुजारी के अनुसार मंदिर में सजावट के लिए दिए जाने वाले नोट व अन्य सामग्री देने वालों का नाम, पता, मोबाइल नंबर साथ में एक पासपोर्ट फोटो लिया जाता है। जिसे रजिस्टर में अंकित कर टोकन दिया जाता है। दीपावली के पांच दिन बाद टोकन नंबर बताकर स्वयं को आना पड़ता है। इसके बाद महालक्ष्मी की प्रसादी के रुपए दी गई सामग्री लौटा दी जाती है। मान्यता है कि श्रृंगार सामग्री वापस लेने के बाद घर की तिजोरी, पूजन स्थान पर रखने से सालभर सुख-समृद्धि बनी रहती है।