मातृभाषा दिवस, बच्चों ने पढ़ी हल्बी गोंडी छत्तीसगढ़ी में गीत कविताएं

छत्तीसगढ़ संवाददाता कोंडागांव, 22 फरवरी। सांस्कृतिक विविधता एवं मातृभाषा के संरक्षण के महत्व से बच्चों को परिचित कराने के उद्देश्य से प्राथमिक शाला जोन्दरा पदर में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन किया गया। विद्यालय की प्रधानाध्यापक मधु तिवारी ने बताया कि यूनेस्को द्वारा सन 2000 में सांस्कृतिक विविधता मातृभाषा के संरक्षण संवर्धन के उद्देश्य से इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई थी। मातृ भाषा दिवस 2024 की थीम बहुभाषी शिक्षा अंतर-पीढ़ी गत शिक्षा का स्तंभ है जो कि बहु भाषा शिक्षा को बढ़ावा देती है। बहुत सारी बोली और भाषा तेजी से विलुप्त होने की कगार पर पहुंच रही हैं। बस्तर में कभी छत्तीस भाषाएँ बोली जाति थी अब गोंडी हल्बी भतरी का ही अस्तित्व बचा दिखाई दे रहा है ।एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक दो सप्ताह में विश्व में एक बोली भाषा विलुप्त हो जाती है स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा भी मातृभाषा को बढ़ावा देने प्राथमिक कक्षाओं में कुछ पाठ स्थानीय बोली भाषा की सम्मिलित किए गए हैं बच्चों को सबसे अधिक लगाव अपनी मातृभाषा से होता है ऐसे में मातृभाषा में शिक्षा दिए जाने से बच्चे विद्यालय से जुड़ाव महसूस करते हैं एवं शाला त्यागी नही होते। समुदाय से उनका जुड़ाव बना रहता है संस्कृति के संरक्षण के लिए भाषा बोलियों को लिपिबद्ध किया जाना चाहिए। इस अवसर पर स्कूली बच्चों ने अपनी मातृभाषा में अपने पाठ्यक्रम में सम्मिलित हल्बी कविताओं का पाठ किया एवं छत्तीसगढ़ी में भी गीत और कविताएं सुनाये।

मातृभाषा दिवस, बच्चों ने पढ़ी हल्बी गोंडी छत्तीसगढ़ी में गीत कविताएं
छत्तीसगढ़ संवाददाता कोंडागांव, 22 फरवरी। सांस्कृतिक विविधता एवं मातृभाषा के संरक्षण के महत्व से बच्चों को परिचित कराने के उद्देश्य से प्राथमिक शाला जोन्दरा पदर में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन किया गया। विद्यालय की प्रधानाध्यापक मधु तिवारी ने बताया कि यूनेस्को द्वारा सन 2000 में सांस्कृतिक विविधता मातृभाषा के संरक्षण संवर्धन के उद्देश्य से इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई थी। मातृ भाषा दिवस 2024 की थीम बहुभाषी शिक्षा अंतर-पीढ़ी गत शिक्षा का स्तंभ है जो कि बहु भाषा शिक्षा को बढ़ावा देती है। बहुत सारी बोली और भाषा तेजी से विलुप्त होने की कगार पर पहुंच रही हैं। बस्तर में कभी छत्तीस भाषाएँ बोली जाति थी अब गोंडी हल्बी भतरी का ही अस्तित्व बचा दिखाई दे रहा है ।एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक दो सप्ताह में विश्व में एक बोली भाषा विलुप्त हो जाती है स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा भी मातृभाषा को बढ़ावा देने प्राथमिक कक्षाओं में कुछ पाठ स्थानीय बोली भाषा की सम्मिलित किए गए हैं बच्चों को सबसे अधिक लगाव अपनी मातृभाषा से होता है ऐसे में मातृभाषा में शिक्षा दिए जाने से बच्चे विद्यालय से जुड़ाव महसूस करते हैं एवं शाला त्यागी नही होते। समुदाय से उनका जुड़ाव बना रहता है संस्कृति के संरक्षण के लिए भाषा बोलियों को लिपिबद्ध किया जाना चाहिए। इस अवसर पर स्कूली बच्चों ने अपनी मातृभाषा में अपने पाठ्यक्रम में सम्मिलित हल्बी कविताओं का पाठ किया एवं छत्तीसगढ़ी में भी गीत और कविताएं सुनाये।