भारत की टी20 टीम का चयन आईपीएल प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए: गौतम गंभीर

नई दिल्ली, 21 मई । कोलकाता नाइटराइडर्स के मेंटॉर और भारतीय टीम के कोच पद की रेस में आगे चल रहे गौतम गंभीर ने कहा है कि गेंदबाज़ी की गति जैसे विशिष्ट मानदंडों के आधार पर युवा भारतीय खिलाड़ियों के बारे में हाइप बनाना उन्हें प्रतिफल दे सकता है और उन्हें कड़ी मेहनत करने से विचलित कर सकता है। उन्होंने कहा है कि टी20 में टीम चयन आईपीएल प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए ना, लेकिन केवल बल्लेबाज़ी औसत या गेंदबाज़ी गति के आधार पर नहीं होना चाहिए। गंभीर ने भारतीय ऑफ स्पिनर आर अश्विन के यूट्यूब चैनल पर कहा, भारत में हमने युवा खिलाड़ियों में बहुत अधिक हाइप बनाना शुरू कर दिया है। अगर कोई 150 तक गेंद कर रहा है तो हर कोई उत्साहित हो जाता है। प्वाइंट यह है कि आपको परिस्थति को भी देखने की ज़रूरत है। टी20 क्रिकेट में औसत और रन इतने प्रभाव नहीं डालेंगे। जब बल्लेबाज़ का चयन हो तो यह स्ट्राइक रेट है और जब गेंदबाज़ का चयन हो तो यह देखना है कि वह कितने मुश्किल ओवर डाल सकता है। अगले दो-तीन सालों में यही चर्चा होगी। उन्होंने कहा,हम रनों की संख्या और औसत, कोई 150 डाल रहा है तो उसके बारे में चर्चा करते रहते हैं। कई बार जब आप वेस्टइंडीज़ या बांग्लादेश जाते हो तो आपको ऐसे गेंदबाज़ की ज़रूरत नहीं है जो 150 किमी की गति से गेंद करता हो। आपको ऐसा गेंदबाज़ चाहिए जो कटर डाल सकता है। यही सोच चयनकर्ताओं की होनी चाहिए। कई बार आप प्राकृतिक कौशल चुन लेते हो, लेकिन दो-तीन मैचों के बाद हाइप बनाना सही नहीं है, हमें एक संतुलित दृटिकोण की ज़रूरत है। भारत में ग्राफ़ ऊपर-नीचे जाता है और यह एक युवा खिलाड़ी के लिए सही नहीं है। जब बात युवा खिलाड़ियों की हो तो यहीं पर विशेषज्ञ और कमेंटेटरों को संतुलित रहने की ज़रूरत है। उनके लिए कड़ी मेहनत और जो अच्छे काम वे कर रहे हैं उनसे भटक जाना आसान है। क्योंकि अचानक जब आप किसी युवा खिलाड़ी के अच्छा प्रदर्शन करने की बात करने लगते हैं तो यह उनके लिए उल्टा पड़ सकता है। गंभीर ने घरेलू क्रिकेट की अहमियत पर भी बात की और उन्होंने साथ ही कहा कि आईपीएल के प्रदर्शन लाल गेंद क्रिकेट चयन में प्रभाव नहीं डालने चाहिए। गंभीर ने कहा, भारत की टी20 टीम आईपीएल प्रदर्शन के आधार पर चुनी जानी चाहिए। 50 ओवर के प्रारूप में टीम का चयन विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी से होना चाहिए और आपकी टेस्ट टीम प्रथम श्रेणी क्रिकेट के आधार पर होनी चाहिए। अगर आप 50 ओवर प्रारूप या लाल गेंद क्रिकेट के लिए चयन आईपीएल टूर्नामेंट के आधार पर करेंगे तो यह युवा खिलाड़ियों के लिए शॉर्ट कट हो जाएगा और वे लाल गेंद क्रिकेट या 50 ओवर प्रारूप पर फ़ोकस करना बंद कर देंगे। वनडे क्रिकेट में दो नई गेंद क्रिकेट में सबसे ख़राब चीज़ वनडे में 2011 में दो नई गेंद नियम के इस्तेमाल की शुरुआत की गई और गंभीर ने कहा कि यह क्रिकेट में हुई सबसे ख़राब चीज़ है। उन्होंने साथ ही कहा कि इससे अश्विन और ऑस्ट्रेलिया के नाथन लियोन जैसे उंगलियों के स्पिनर वनडे प्रारूप से दूर हो गए हैं। गंभीर ने अश्विन से कहा, क्रिकेट में सबसे ख़राब चीज़ यही हुई है कि दो नई गेंद का इस्तेमाल शुरू किया गया। आपने मैच से उंगलियों के स्पिनर का पूरा कौशल छीन लिया। आपके पास दो नई गेंद है, आपके पास पांच खिलाड़ी अंदर है, तो आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि एक उंगलियों का स्पिनर पिच से कुछ निकाल सकता है और आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उंगलियों का स्पिनर प्लेइंग इलेवन का हिस्सा हो सकता है? उन्होंने कहा, आपने इससे दुनिया के दो सर्वश्रेष्ठ उंगलियों के स्पिनर अश्विन और लियोन को दूर कर दिया है। यही कारण है कि वहां आप लोग नहीं खेल रहे हैं क्योंकि वहां आप लोगों के लिए कुछ नहीं है। यदि आप 20वें ओवर में गेंदबाज़ी कर रहे हैं तो आप 10 ओवर पुरानी गेंद से गेंदबाज़ी कर रहे हैं और पांच खिलाड़ी अंदर है और पिच भी सपाट है। बड़े बल्लेबाज़ हैं और पॉवर हिटर्स भी हैं, साथ ही छोटी बाउंड्री है और डीआरएस भी है। यह आपके और लॉयन के लिए नहीं है। यह काम आईसीसी का है। यह काम आईसीसी का है कि आप हर तरह के गेंदबाज़ को प्रमोट करो जो ऑफ़ स्पिनर या उंगलियों का स्पिनर बनना चाहता है। आप मुझे बताइए कितने युवा उंगलियों के स्पिनर बनना चाहते हैं? ऑफ़ स्पिन या बायें हाथ की स्पिन एक कला है और ये कोई नहीं बनना चाहता क्योंकि वे जानते हैं कि सफ़ेद गेंद क्रिकेट में उनका कोई भविष्य नहीं है। गंभीर ने कहा कि आईसीसी को देखना चाहिए कि वे बॉल मैन्यूफैक्चर्स बदलें, फिर उस नियम को बदलें जो खिलाड़ियों पर प्रभाव डाल रहा है। गंभीर ने कहा, मुझे वह प्रारूप या नियम पसंद है जहां पर एक नई गेंद रहती है। यह खिलाड़ी की समस्या नहीं है। अगर बॉल बनाने वाले 50 ओवर तक गेंद की शेप को बरक़रार नहीं रख सकते हैं तो अच्छा है आप मैन्यूफैक्चरर को ही बदल दें। एक गेंद 50 ओवर तक अपना रंग बनाए नहीं रख सकती है। यह मैन्यूफैक्चरर की समस्या है। जब लोग मध्य ओवरों में विकेट लेने की बात करते हैं तो अचानक से उन्हें पता चलता है कि केवल कलाई के स्पिनर विकेट ले सकते हैं। हां आपके पास कैरम बॉल या फ्लिपर भी विकेट दिला सकती हैं लेकिन विशुद्ध ऑफ़ स्पिन या बायें हाथ की स्पिन की कला कहां है या बायें हाथ का स्पिनर जो हवा में या विकेट से बीट करा सकता है वह कहां है? क्योंकि आपके पास विकेट से मदद नहीं है और पांच खिलाड़ी अंदर है। तो मुझे लगता है कि आईसीसी को सोचना होगा और फिर हम आगे बढ़ सकते हैं और पूरे 50 ओवर में एक गेंद से खेल सकते हैं। (आईएएनएस)

भारत की टी20 टीम का चयन आईपीएल प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए: गौतम गंभीर
नई दिल्ली, 21 मई । कोलकाता नाइटराइडर्स के मेंटॉर और भारतीय टीम के कोच पद की रेस में आगे चल रहे गौतम गंभीर ने कहा है कि गेंदबाज़ी की गति जैसे विशिष्ट मानदंडों के आधार पर युवा भारतीय खिलाड़ियों के बारे में हाइप बनाना उन्हें प्रतिफल दे सकता है और उन्हें कड़ी मेहनत करने से विचलित कर सकता है। उन्होंने कहा है कि टी20 में टीम चयन आईपीएल प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए ना, लेकिन केवल बल्लेबाज़ी औसत या गेंदबाज़ी गति के आधार पर नहीं होना चाहिए। गंभीर ने भारतीय ऑफ स्पिनर आर अश्विन के यूट्यूब चैनल पर कहा, भारत में हमने युवा खिलाड़ियों में बहुत अधिक हाइप बनाना शुरू कर दिया है। अगर कोई 150 तक गेंद कर रहा है तो हर कोई उत्साहित हो जाता है। प्वाइंट यह है कि आपको परिस्थति को भी देखने की ज़रूरत है। टी20 क्रिकेट में औसत और रन इतने प्रभाव नहीं डालेंगे। जब बल्लेबाज़ का चयन हो तो यह स्ट्राइक रेट है और जब गेंदबाज़ का चयन हो तो यह देखना है कि वह कितने मुश्किल ओवर डाल सकता है। अगले दो-तीन सालों में यही चर्चा होगी। उन्होंने कहा,हम रनों की संख्या और औसत, कोई 150 डाल रहा है तो उसके बारे में चर्चा करते रहते हैं। कई बार जब आप वेस्टइंडीज़ या बांग्लादेश जाते हो तो आपको ऐसे गेंदबाज़ की ज़रूरत नहीं है जो 150 किमी की गति से गेंद करता हो। आपको ऐसा गेंदबाज़ चाहिए जो कटर डाल सकता है। यही सोच चयनकर्ताओं की होनी चाहिए। कई बार आप प्राकृतिक कौशल चुन लेते हो, लेकिन दो-तीन मैचों के बाद हाइप बनाना सही नहीं है, हमें एक संतुलित दृटिकोण की ज़रूरत है। भारत में ग्राफ़ ऊपर-नीचे जाता है और यह एक युवा खिलाड़ी के लिए सही नहीं है। जब बात युवा खिलाड़ियों की हो तो यहीं पर विशेषज्ञ और कमेंटेटरों को संतुलित रहने की ज़रूरत है। उनके लिए कड़ी मेहनत और जो अच्छे काम वे कर रहे हैं उनसे भटक जाना आसान है। क्योंकि अचानक जब आप किसी युवा खिलाड़ी के अच्छा प्रदर्शन करने की बात करने लगते हैं तो यह उनके लिए उल्टा पड़ सकता है। गंभीर ने घरेलू क्रिकेट की अहमियत पर भी बात की और उन्होंने साथ ही कहा कि आईपीएल के प्रदर्शन लाल गेंद क्रिकेट चयन में प्रभाव नहीं डालने चाहिए। गंभीर ने कहा, भारत की टी20 टीम आईपीएल प्रदर्शन के आधार पर चुनी जानी चाहिए। 50 ओवर के प्रारूप में टीम का चयन विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी से होना चाहिए और आपकी टेस्ट टीम प्रथम श्रेणी क्रिकेट के आधार पर होनी चाहिए। अगर आप 50 ओवर प्रारूप या लाल गेंद क्रिकेट के लिए चयन आईपीएल टूर्नामेंट के आधार पर करेंगे तो यह युवा खिलाड़ियों के लिए शॉर्ट कट हो जाएगा और वे लाल गेंद क्रिकेट या 50 ओवर प्रारूप पर फ़ोकस करना बंद कर देंगे। वनडे क्रिकेट में दो नई गेंद क्रिकेट में सबसे ख़राब चीज़ वनडे में 2011 में दो नई गेंद नियम के इस्तेमाल की शुरुआत की गई और गंभीर ने कहा कि यह क्रिकेट में हुई सबसे ख़राब चीज़ है। उन्होंने साथ ही कहा कि इससे अश्विन और ऑस्ट्रेलिया के नाथन लियोन जैसे उंगलियों के स्पिनर वनडे प्रारूप से दूर हो गए हैं। गंभीर ने अश्विन से कहा, क्रिकेट में सबसे ख़राब चीज़ यही हुई है कि दो नई गेंद का इस्तेमाल शुरू किया गया। आपने मैच से उंगलियों के स्पिनर का पूरा कौशल छीन लिया। आपके पास दो नई गेंद है, आपके पास पांच खिलाड़ी अंदर है, तो आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि एक उंगलियों का स्पिनर पिच से कुछ निकाल सकता है और आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उंगलियों का स्पिनर प्लेइंग इलेवन का हिस्सा हो सकता है? उन्होंने कहा, आपने इससे दुनिया के दो सर्वश्रेष्ठ उंगलियों के स्पिनर अश्विन और लियोन को दूर कर दिया है। यही कारण है कि वहां आप लोग नहीं खेल रहे हैं क्योंकि वहां आप लोगों के लिए कुछ नहीं है। यदि आप 20वें ओवर में गेंदबाज़ी कर रहे हैं तो आप 10 ओवर पुरानी गेंद से गेंदबाज़ी कर रहे हैं और पांच खिलाड़ी अंदर है और पिच भी सपाट है। बड़े बल्लेबाज़ हैं और पॉवर हिटर्स भी हैं, साथ ही छोटी बाउंड्री है और डीआरएस भी है। यह आपके और लॉयन के लिए नहीं है। यह काम आईसीसी का है। यह काम आईसीसी का है कि आप हर तरह के गेंदबाज़ को प्रमोट करो जो ऑफ़ स्पिनर या उंगलियों का स्पिनर बनना चाहता है। आप मुझे बताइए कितने युवा उंगलियों के स्पिनर बनना चाहते हैं? ऑफ़ स्पिन या बायें हाथ की स्पिन एक कला है और ये कोई नहीं बनना चाहता क्योंकि वे जानते हैं कि सफ़ेद गेंद क्रिकेट में उनका कोई भविष्य नहीं है। गंभीर ने कहा कि आईसीसी को देखना चाहिए कि वे बॉल मैन्यूफैक्चर्स बदलें, फिर उस नियम को बदलें जो खिलाड़ियों पर प्रभाव डाल रहा है। गंभीर ने कहा, मुझे वह प्रारूप या नियम पसंद है जहां पर एक नई गेंद रहती है। यह खिलाड़ी की समस्या नहीं है। अगर बॉल बनाने वाले 50 ओवर तक गेंद की शेप को बरक़रार नहीं रख सकते हैं तो अच्छा है आप मैन्यूफैक्चरर को ही बदल दें। एक गेंद 50 ओवर तक अपना रंग बनाए नहीं रख सकती है। यह मैन्यूफैक्चरर की समस्या है। जब लोग मध्य ओवरों में विकेट लेने की बात करते हैं तो अचानक से उन्हें पता चलता है कि केवल कलाई के स्पिनर विकेट ले सकते हैं। हां आपके पास कैरम बॉल या फ्लिपर भी विकेट दिला सकती हैं लेकिन विशुद्ध ऑफ़ स्पिन या बायें हाथ की स्पिन की कला कहां है या बायें हाथ का स्पिनर जो हवा में या विकेट से बीट करा सकता है वह कहां है? क्योंकि आपके पास विकेट से मदद नहीं है और पांच खिलाड़ी अंदर है। तो मुझे लगता है कि आईसीसी को सोचना होगा और फिर हम आगे बढ़ सकते हैं और पूरे 50 ओवर में एक गेंद से खेल सकते हैं। (आईएएनएस)