बांग्ला-भाषी मुसलमानों को बाल विवाह, बहुविवाह बंद करना होगा, तभी वे मूल निवासी माने जाएंगे: हिमंत

गुवाहाटी, 24 मार्च असम के मुख्यमंत्री मंहित विश्व शर्मा ने कहा है कि बांग्ला-भाषी मुसलमानों को बाल-विवाह और बहुविवाह जैसी प्रथाओं को छोड़ना होगा, तभी वे राज्य के मूल निवासी खिलोंजिया माने जाएंगे। शर्मा ने इससे पहले राज्य के बांग्ला-भाषी मुस्लिम समुदाय को सामाजिक कुरीतियों के लिए जिम्मेदार बताया था। इस समुदाय में अधिकतर बांग्लादेश से संबंध रखने वाले हैं शर्मा ने शनिवार को कहा, मियां (बांग्ला-भाषी मुसलमान) मूल निवासी हैं या नहीं यह एक अलग मामला है। हम यह कह रहे हैं कि अगर वे मूल निवासी बनना चाहते हैं, तो हमें कोई समस्या नहीं है लेकिन इसके लिए उन्हें बाल विवाह और बहुविवाह को छोड़कर महिलाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना होगा। उन्होंने कहा कि असमिया लोगों की एक संस्कृति है जिसमें लड़कियों की तुलना शक्ति (देवी) से की जाती है और दो-तीन बार शादी करना असमिया संस्कृति नहीं है। उन्होंने कहा, मैं उनसे हमेशा कहता हूं, मियां के स्वदेशी होने में कोई समस्या नहीं है लेकिन वे दो-तीन पत्नियां नहीं रख सकते। यह असमिया संस्कृति नहीं है। कोई सत्र (वैष्णव मठ) भूमि का अतिक्रमण कर मूल निवासी कैसे बनना चाहता है? मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर बांग्ला भाषी मुसलमान असमिया रीति-रिवाजों का पालन कर सकते हैं, तो उन्हें भी स्वदेशी माना जाएगा।(भाषा)

बांग्ला-भाषी मुसलमानों को बाल विवाह, बहुविवाह बंद करना होगा, तभी वे मूल निवासी माने जाएंगे: हिमंत
गुवाहाटी, 24 मार्च असम के मुख्यमंत्री मंहित विश्व शर्मा ने कहा है कि बांग्ला-भाषी मुसलमानों को बाल-विवाह और बहुविवाह जैसी प्रथाओं को छोड़ना होगा, तभी वे राज्य के मूल निवासी खिलोंजिया माने जाएंगे। शर्मा ने इससे पहले राज्य के बांग्ला-भाषी मुस्लिम समुदाय को सामाजिक कुरीतियों के लिए जिम्मेदार बताया था। इस समुदाय में अधिकतर बांग्लादेश से संबंध रखने वाले हैं शर्मा ने शनिवार को कहा, मियां (बांग्ला-भाषी मुसलमान) मूल निवासी हैं या नहीं यह एक अलग मामला है। हम यह कह रहे हैं कि अगर वे मूल निवासी बनना चाहते हैं, तो हमें कोई समस्या नहीं है लेकिन इसके लिए उन्हें बाल विवाह और बहुविवाह को छोड़कर महिलाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना होगा। उन्होंने कहा कि असमिया लोगों की एक संस्कृति है जिसमें लड़कियों की तुलना शक्ति (देवी) से की जाती है और दो-तीन बार शादी करना असमिया संस्कृति नहीं है। उन्होंने कहा, मैं उनसे हमेशा कहता हूं, मियां के स्वदेशी होने में कोई समस्या नहीं है लेकिन वे दो-तीन पत्नियां नहीं रख सकते। यह असमिया संस्कृति नहीं है। कोई सत्र (वैष्णव मठ) भूमि का अतिक्रमण कर मूल निवासी कैसे बनना चाहता है? मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर बांग्ला भाषी मुसलमान असमिया रीति-रिवाजों का पालन कर सकते हैं, तो उन्हें भी स्वदेशी माना जाएगा।(भाषा)