90 बरस में कारोबार का जुनून, 12 घंटे जी तोड़ मेहनत कर भी नहीं थकते चन्द्रेया

छत्तीसगढ़ संवाददाता भोपालपटनम, 26 अप्रैल। जीवन में आपने बहुत लोगों से सफलता की कहानियाँ और जज्बों की लड़ाई तो बहुत सुनी होंगी, लेकिन आज हम ऐसे व्यापारी के बारे में बताएँगे जो जीवन भर संघर्ष कर अच्छे मुकाम तक पहुंचने के बाद भी आज जोश के साथ काम कर रहे हैं। भोपालपटनम के गोल्लागुडा गांव के रहने वाले 90 वर्षीय जन्नम चन्द्रेया में व्यापारियों और युवाओं के लिए एक प्रेरणास्वरुप है, इनकी सफलता के पीछे बहुत बड़ा संघर्ष है। जन्नम चन्द्रेया ने बताया कि वे 1962 में गोल्लागुडा से एक छोटे से किराने की दुकान की शुरुआत की थी। ग्रामीण अंचलों में लगने वाले बाजारों में अपनी दुकान लगाकर व्यापार करते थे। उन्होंने बताया कि व्यापार के दौरान कई तरह की कठिनाईयां उठाई है। उनका जन्म तेलंगाना के महादेवपुर में हुआ था, जब उन्होंने होश संभाला, तब देखा कि छत्तीसगढ़ के बार्डर इलाके के बाजारों में अच्छा व्यापार होता था, तब जाकर उन्होंने 1962 में एक किराने की दुकान खोलकर व्यापार की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि उनके सात बच्चे हैं, चार बेटियां हैं, सभी बेटियों की शादी तेलंगाना में की है और तीन लडक़ों की शादी कर उन्हें कमाने लायक बना दिया है। उन्हें बीपी, शुगर जैसी कोई बीमारी नहीं है, उनकी दिनचर्या ठीक रहती है, सुबह 5 बजे उठकर अपना काम में लग जाते हंै, गाय व भैसों को चारा देते हैं, और अपने खानपान पर विशेष ध्यान देते हंै, वे सारा दिन काम करने में नहीं थकते है। उम्र के हिसाब से अब हाथ पैर में दर्द रहता है, उठने-बैठने में थोड़ा तकलीफ महसूस करते हंै। सभी बच्चों को अच्छे मुकाम तक पहुंचाया व्यापारी चन्द्रेया के सात बच्चे हैं, तीन लडक़े और चार लड़कियां है। सभी की शादी कर दादा और नाना बन चुके हैं। तीनों लडक़ों के लिए अच्छा मकान बनाकर दिया और सभी बच्चों को किराना दुकान खोलकर एक अच्छे मुकाम तक पहुंचाया है। सभी अपना-अपना व्यापार अच्छे ढंग कर रहे हंै। वे खुद भी उम्रदराज होने के बाद भी व्यापार करने का जुनून है, वे आज भी उनकी सबसे बड़ी किराना दुकान अकेले सँभालते हैं, 12 घंटे की ड्यूटी में बिना थके काम करते हैं। 60 के दशक में गोल्लागुडा में शुरू किया था व्यापार 60 के दशक में व्यापार की शुरुआत की थी। तेलंगाना के महादेवपुर से अपना परिवार लेकर आ गए थे। उम्र के साथ अब थोड़ा सा हाथ-पैर में दर्द रहता है फिर भी वे पूरा दिन काम में लगा देते हंै। परिवार से उनके साथ छोटा बेटा रहता है लेकिन उनका काम अलग है वे भी अपना-अलग व्यापार करते हैं। टाकीज लगाकर फि़ल्म दिखाने का काम भी किया 90 की दशक के बीजापुर जिले का पहला टॉकीज था, उस समय बीजापुर समेत आसपास के लोग वहां फि़ल्म देखने आते थे। टॉकीज लगाकर लोगों को मनोरजन की दुनिया दिखाने का काम भी जन्नम चन्द्रेया ने किया है। उन्होंने गोल्लागुडा में अपने घर के ऊपर टाकीज बनाई थी। हिंदी और तेलगु फि़ल्म का प्रसारण किया जाता था। सिनेमा देखने आसपास के गांव के साथ बार्डर के तेलंगाना महाराष्ट्र से भी लोग फि़ल्म देखने आते थे 1994 में लगी मोहरा फि़ल्म रिकार्ड तोड़ी थी। गल्ले के व्यापार में टक्कर का नहीं था कोई व्यापारी जगत में अपनी छाप छोड़ चुके चन्द्रेया गल्ले के एक बड़े व्यापारी थे, इस इलाके उनको टक्कर देने लायक कोई नहीं था, वे उन दिनों गल्ले के बड़े व्यापारियों मे से एक रहे हैं। आसपास गांवों से टोरा, महुआ, लाख, इमली, मिर्ची, हल्दी, जैसी खाद्य पदार्थ को खरीदकर बेचते थे।

90 बरस में कारोबार का जुनून, 12 घंटे जी तोड़ मेहनत कर भी नहीं थकते चन्द्रेया
छत्तीसगढ़ संवाददाता भोपालपटनम, 26 अप्रैल। जीवन में आपने बहुत लोगों से सफलता की कहानियाँ और जज्बों की लड़ाई तो बहुत सुनी होंगी, लेकिन आज हम ऐसे व्यापारी के बारे में बताएँगे जो जीवन भर संघर्ष कर अच्छे मुकाम तक पहुंचने के बाद भी आज जोश के साथ काम कर रहे हैं। भोपालपटनम के गोल्लागुडा गांव के रहने वाले 90 वर्षीय जन्नम चन्द्रेया में व्यापारियों और युवाओं के लिए एक प्रेरणास्वरुप है, इनकी सफलता के पीछे बहुत बड़ा संघर्ष है। जन्नम चन्द्रेया ने बताया कि वे 1962 में गोल्लागुडा से एक छोटे से किराने की दुकान की शुरुआत की थी। ग्रामीण अंचलों में लगने वाले बाजारों में अपनी दुकान लगाकर व्यापार करते थे। उन्होंने बताया कि व्यापार के दौरान कई तरह की कठिनाईयां उठाई है। उनका जन्म तेलंगाना के महादेवपुर में हुआ था, जब उन्होंने होश संभाला, तब देखा कि छत्तीसगढ़ के बार्डर इलाके के बाजारों में अच्छा व्यापार होता था, तब जाकर उन्होंने 1962 में एक किराने की दुकान खोलकर व्यापार की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि उनके सात बच्चे हैं, चार बेटियां हैं, सभी बेटियों की शादी तेलंगाना में की है और तीन लडक़ों की शादी कर उन्हें कमाने लायक बना दिया है। उन्हें बीपी, शुगर जैसी कोई बीमारी नहीं है, उनकी दिनचर्या ठीक रहती है, सुबह 5 बजे उठकर अपना काम में लग जाते हंै, गाय व भैसों को चारा देते हैं, और अपने खानपान पर विशेष ध्यान देते हंै, वे सारा दिन काम करने में नहीं थकते है। उम्र के हिसाब से अब हाथ पैर में दर्द रहता है, उठने-बैठने में थोड़ा तकलीफ महसूस करते हंै। सभी बच्चों को अच्छे मुकाम तक पहुंचाया व्यापारी चन्द्रेया के सात बच्चे हैं, तीन लडक़े और चार लड़कियां है। सभी की शादी कर दादा और नाना बन चुके हैं। तीनों लडक़ों के लिए अच्छा मकान बनाकर दिया और सभी बच्चों को किराना दुकान खोलकर एक अच्छे मुकाम तक पहुंचाया है। सभी अपना-अपना व्यापार अच्छे ढंग कर रहे हंै। वे खुद भी उम्रदराज होने के बाद भी व्यापार करने का जुनून है, वे आज भी उनकी सबसे बड़ी किराना दुकान अकेले सँभालते हैं, 12 घंटे की ड्यूटी में बिना थके काम करते हैं। 60 के दशक में गोल्लागुडा में शुरू किया था व्यापार 60 के दशक में व्यापार की शुरुआत की थी। तेलंगाना के महादेवपुर से अपना परिवार लेकर आ गए थे। उम्र के साथ अब थोड़ा सा हाथ-पैर में दर्द रहता है फिर भी वे पूरा दिन काम में लगा देते हंै। परिवार से उनके साथ छोटा बेटा रहता है लेकिन उनका काम अलग है वे भी अपना-अलग व्यापार करते हैं। टाकीज लगाकर फि़ल्म दिखाने का काम भी किया 90 की दशक के बीजापुर जिले का पहला टॉकीज था, उस समय बीजापुर समेत आसपास के लोग वहां फि़ल्म देखने आते थे। टॉकीज लगाकर लोगों को मनोरजन की दुनिया दिखाने का काम भी जन्नम चन्द्रेया ने किया है। उन्होंने गोल्लागुडा में अपने घर के ऊपर टाकीज बनाई थी। हिंदी और तेलगु फि़ल्म का प्रसारण किया जाता था। सिनेमा देखने आसपास के गांव के साथ बार्डर के तेलंगाना महाराष्ट्र से भी लोग फि़ल्म देखने आते थे 1994 में लगी मोहरा फि़ल्म रिकार्ड तोड़ी थी। गल्ले के व्यापार में टक्कर का नहीं था कोई व्यापारी जगत में अपनी छाप छोड़ चुके चन्द्रेया गल्ले के एक बड़े व्यापारी थे, इस इलाके उनको टक्कर देने लायक कोई नहीं था, वे उन दिनों गल्ले के बड़े व्यापारियों मे से एक रहे हैं। आसपास गांवों से टोरा, महुआ, लाख, इमली, मिर्ची, हल्दी, जैसी खाद्य पदार्थ को खरीदकर बेचते थे।