पाकिस्तान: जुल्फ़िकार अली भुट्टो को मौत की सजा दिए जाने के दशकों बाद सुप्रीम कोर्ट ने जताया अफ़सोस, क्या कहा?

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने कहा है कि पूर्व पीएम ज़ुल्फिकार अली भुट्टो को निष्पक्ष ट्रायल नहीं दिया गया और उनके ख़िलाफ़ चला केस क़ानून, संविधान के अनुरूप नहीं था. बीते 13 सालों में इस मामले में सिर्फ़ 12 बार सुनवाई हुई है. डॉन न्यूज़ के मुताबिक़, पाकिस्तान में संविधान के तहत राष्ट्रपति को ये अधिकार है कि वो जनहित से जुड़े किसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई और राय देने के लिए कह सकते हैं. पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के नेता और ज़ुल्फिकार अली भुट्टो के नाती बिलावल ने इस मामले पर टिप्पणी की है. बिलावल भुट्टो ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की राय से पाकिस्तान की लोकतांत्रिक और न्यायिक प्रणाली बेहतर होगी. ज़ुल्फिकार अली भुट्टो को पहली बार तीन सितंबर 1977 में गिरफ़्तार किया गया था. ये गिरफ़्तारी नवाब मोहम्मद कसूरी की हत्या मामले में हुई थी. हालांकि भुट्टो को 10 दिन बाद ज़मानत मिल गई थी. 17 सितंबर 1977 को मार्शल लॉ लगाए जाने के बाद भुट्टो को फिर से गिरफ़्तार किया गया था. साल 1978 में भुट्टो को मौत की सज़ा सुनाई गई थी. अप्रैल 1979 में रावलपिंडी की जेल में भुट्टो को फांसी दे दी गई.

पाकिस्तान: जुल्फ़िकार अली भुट्टो को मौत की सजा दिए जाने के दशकों बाद सुप्रीम कोर्ट ने जताया अफ़सोस, क्या कहा?
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने कहा है कि पूर्व पीएम ज़ुल्फिकार अली भुट्टो को निष्पक्ष ट्रायल नहीं दिया गया और उनके ख़िलाफ़ चला केस क़ानून, संविधान के अनुरूप नहीं था. बीते 13 सालों में इस मामले में सिर्फ़ 12 बार सुनवाई हुई है. डॉन न्यूज़ के मुताबिक़, पाकिस्तान में संविधान के तहत राष्ट्रपति को ये अधिकार है कि वो जनहित से जुड़े किसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई और राय देने के लिए कह सकते हैं. पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के नेता और ज़ुल्फिकार अली भुट्टो के नाती बिलावल ने इस मामले पर टिप्पणी की है. बिलावल भुट्टो ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की राय से पाकिस्तान की लोकतांत्रिक और न्यायिक प्रणाली बेहतर होगी. ज़ुल्फिकार अली भुट्टो को पहली बार तीन सितंबर 1977 में गिरफ़्तार किया गया था. ये गिरफ़्तारी नवाब मोहम्मद कसूरी की हत्या मामले में हुई थी. हालांकि भुट्टो को 10 दिन बाद ज़मानत मिल गई थी. 17 सितंबर 1977 को मार्शल लॉ लगाए जाने के बाद भुट्टो को फिर से गिरफ़्तार किया गया था. साल 1978 में भुट्टो को मौत की सज़ा सुनाई गई थी. अप्रैल 1979 में रावलपिंडी की जेल में भुट्टो को फांसी दे दी गई.