डोंगरगढ़ नपा के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त

भाजपा की रणनीति हुई फेल, अध्यक्ष ने बचाई कुर्सी छत्तीसगढ़ संवाददाता राजनांदगांव, 13 जुलाई। डोंगरगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष सुदेश मेश्राम के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त हो गया। आठ मत पाकर अध्यक्ष ने अपनी कुर्सी बचा ली। इस फैसले के बाद कांग्रेस में खुशी का माहौल है। वहीं भाजपा की रणनीति राजनीतिक मोर्चे में नाकाम साबित हुई। भाजपा के क्षेत्रीय नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को कामयाब होने का दावा किया था। अध्यक्ष की कुर्सी में काबिज कांग्रेस समर्थित मेश्राम को हटाने के लिए मंडल से लेकर भाजपा के पूर्व विधायकों और सांगठनिक नेताओं ने ताकत झोंक दी थी। इससे परे 24 सीटों वाली नगर पालिका में महज 8 वोट पाकर मेश्राम ने अपनी सीट बचा ली। इसके पीछे अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में दो तिहाई मत नहीं पड़े। भाजपा ने राज्य में सत्ता बदलते ही धर्मनगरी की इस निकाय की कुर्सी पर डोरे डालने शुरू कर दिए थे। भाजपा नेताओं को प्रदेश संगठन से अविश्वास प्रस्ताव लाने की छूट मिल गई थी। कलेक्टर को ज्ञापन देकर अविश्वास प्रस्ताव की तारीख तय करने की मांग की गई। शुक्रवार को नगर पालिका में भाजपा के 14 और कांग्रेस के 9 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पूरा दिन कसरत किया। अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने के लिए कम से 16 वोटों की जरूरत थी। दोपहर के बाद हुई वोटिंग के बाद गिनती में अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 15 और विपक्ष में 8 मत पड़े। दो तिहाई बहुमत से एक वोट पीछे होने के कारण अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त हो गया। भाजपा को इससे काफी झटका पड़ा है। इस बीच परिणाम पार्टी के पक्ष में आने के बाद कांग्रेसियों ने जश्न मनाया। नगर पालिका की सत्ता पर कांग्रेस का कब्जा रहेगा। बताया जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भाजपा के स्थानीय नेताओं ने प्रदेश नेतृत्व को सफल होने का भरोसा दिया था। रणनीतिक तौर पर भाजपा के लिए यह बड़ी चूक है। शहरी सरकार को बदलने की कवायद में भाजपा नेताओं की किरकिरी हो गई। कांग्रेस इस कामयाबी से काफी उत्साहित है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के कुछ प्रमुख नेताओं ने पर्दे के पीछे शानदार रणनीति तैयार की थी। नतीजतन सत्तारूढ़ भाजपा रणनीति बनाने के मामले में चारो खाने चित्त हो गई।

डोंगरगढ़ नपा के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त
भाजपा की रणनीति हुई फेल, अध्यक्ष ने बचाई कुर्सी छत्तीसगढ़ संवाददाता राजनांदगांव, 13 जुलाई। डोंगरगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष सुदेश मेश्राम के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त हो गया। आठ मत पाकर अध्यक्ष ने अपनी कुर्सी बचा ली। इस फैसले के बाद कांग्रेस में खुशी का माहौल है। वहीं भाजपा की रणनीति राजनीतिक मोर्चे में नाकाम साबित हुई। भाजपा के क्षेत्रीय नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को कामयाब होने का दावा किया था। अध्यक्ष की कुर्सी में काबिज कांग्रेस समर्थित मेश्राम को हटाने के लिए मंडल से लेकर भाजपा के पूर्व विधायकों और सांगठनिक नेताओं ने ताकत झोंक दी थी। इससे परे 24 सीटों वाली नगर पालिका में महज 8 वोट पाकर मेश्राम ने अपनी सीट बचा ली। इसके पीछे अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में दो तिहाई मत नहीं पड़े। भाजपा ने राज्य में सत्ता बदलते ही धर्मनगरी की इस निकाय की कुर्सी पर डोरे डालने शुरू कर दिए थे। भाजपा नेताओं को प्रदेश संगठन से अविश्वास प्रस्ताव लाने की छूट मिल गई थी। कलेक्टर को ज्ञापन देकर अविश्वास प्रस्ताव की तारीख तय करने की मांग की गई। शुक्रवार को नगर पालिका में भाजपा के 14 और कांग्रेस के 9 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पूरा दिन कसरत किया। अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने के लिए कम से 16 वोटों की जरूरत थी। दोपहर के बाद हुई वोटिंग के बाद गिनती में अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 15 और विपक्ष में 8 मत पड़े। दो तिहाई बहुमत से एक वोट पीछे होने के कारण अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त हो गया। भाजपा को इससे काफी झटका पड़ा है। इस बीच परिणाम पार्टी के पक्ष में आने के बाद कांग्रेसियों ने जश्न मनाया। नगर पालिका की सत्ता पर कांग्रेस का कब्जा रहेगा। बताया जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भाजपा के स्थानीय नेताओं ने प्रदेश नेतृत्व को सफल होने का भरोसा दिया था। रणनीतिक तौर पर भाजपा के लिए यह बड़ी चूक है। शहरी सरकार को बदलने की कवायद में भाजपा नेताओं की किरकिरी हो गई। कांग्रेस इस कामयाबी से काफी उत्साहित है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के कुछ प्रमुख नेताओं ने पर्दे के पीछे शानदार रणनीति तैयार की थी। नतीजतन सत्तारूढ़ भाजपा रणनीति बनाने के मामले में चारो खाने चित्त हो गई।