गुप्त नवरात्रि में करें दुर्गा कवच का पाठ, होगी मनोकामनाएं पूरी

हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन नवरात्रि को बेहद ही खास माना गया है जो कि साल में चार बार आती है अभी माघ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जो कि इस बार 10 फरवरी से आरंभ हो चुकी है और 18 फरवरी को समाप्त हो जाएगी। गुप्त नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक भक्त मां भगवती की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से देवी की कृपा बरसती है। ऐसे में अगर आपकी कोई विशेष इच्छा है जो अभी तक पूरी नहीं हुई है तो आप नवरात्रि के नौ दिनों तक विधिवत दुर्गा कवच का पाठ करें मान्यता है कि इस चमत्कारी पाठ को करने से मां भगवती जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों की सारी मनोकामनाओं को पूर्ण कर देती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री दुर्गा कवच। श्री दुर्गा कवच- शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिदम्। पठित्वा पाठयित्वा च नरो मुच्येत सङ्कटात् ॥ उमा देवी शिरः पातु ललाटं शूलधारिणी। चक्षुषी खेचरी पातु वदनं सर्वधारिणी ॥ जिह्वां च चण्डिका देवी ग्रीवां सौभद्रिका तथा। अशोकवासिनी चेतो द्वौ बाहू वज्रधारिणी ॥ हृदयं ललिता देवी उदरं सिंहवाहिनी। कटिं भगवती देवी द्वावूरू विन्ध्यवासिनी ॥ महाबाला च जङ्घे द्वे पादौ भूतलवासिनी एवं स्थिताऽसि देवि त्वं त्रैलोक्यरक्षणात्मिके। रक्ष मां सर्वगात्रेषु दुर्गे दॆवि नमोऽस्तु ते ॥

गुप्त नवरात्रि में करें दुर्गा कवच का पाठ, होगी मनोकामनाएं पूरी
हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन नवरात्रि को बेहद ही खास माना गया है जो कि साल में चार बार आती है अभी माघ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जो कि इस बार 10 फरवरी से आरंभ हो चुकी है और 18 फरवरी को समाप्त हो जाएगी। गुप्त नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक भक्त मां भगवती की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से देवी की कृपा बरसती है। ऐसे में अगर आपकी कोई विशेष इच्छा है जो अभी तक पूरी नहीं हुई है तो आप नवरात्रि के नौ दिनों तक विधिवत दुर्गा कवच का पाठ करें मान्यता है कि इस चमत्कारी पाठ को करने से मां भगवती जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों की सारी मनोकामनाओं को पूर्ण कर देती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री दुर्गा कवच। श्री दुर्गा कवच- शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिदम्। पठित्वा पाठयित्वा च नरो मुच्येत सङ्कटात् ॥ उमा देवी शिरः पातु ललाटं शूलधारिणी। चक्षुषी खेचरी पातु वदनं सर्वधारिणी ॥ जिह्वां च चण्डिका देवी ग्रीवां सौभद्रिका तथा। अशोकवासिनी चेतो द्वौ बाहू वज्रधारिणी ॥ हृदयं ललिता देवी उदरं सिंहवाहिनी। कटिं भगवती देवी द्वावूरू विन्ध्यवासिनी ॥ महाबाला च जङ्घे द्वे पादौ भूतलवासिनी एवं स्थिताऽसि देवि त्वं त्रैलोक्यरक्षणात्मिके। रक्ष मां सर्वगात्रेषु दुर्गे दॆवि नमोऽस्तु ते ॥