45 दिनों में नहीं किया भुगतान तो देना पड़ सकता है 30 प्रतिशत टैक्स

केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम ईकाई उद्यमियों के भुगतान के लिएदीबड़ी राहत रायपुर। केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम ईकाई (एमएसएमई) उद्यमियों के भुगतान के लिए बड़ी राहत दी है। इसके तहत अगर 45 दिनों के अंदर एमएसएमई उद्यमियों का भुगतान नहीं होता तो भुगतान की राशि खरीदारी के आय में जुड़ जाएगी। साथ ही हो सकता है कि 30 प्रतिशत टैक्स देना पड़ सकता है।एमएसएमई के मुताबिक यह नियम एक अप्रैल से लागू हो रहा है और इसके अनुसार अगर 31 मार्च तक एमएसएमई का भुगतान नहीं हुआ है तो खरीदारी की रकम आय में जोड़ दी जाएगी। जानकारों का कहना है कि ऐसा नियम इसलिए लाया गया है ताकि भुगतान के लिए छोटी कंपनियों या छोटे कारोबारी को भटकना न पड़े। मालूम हो कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पिछले वर्ष एक फरवरी को पेस बजट में एमएसएमई की कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) की समस्या को दूर करने के लिए 45 दिनों के भीतर खरीदारी के भुगतान को अनिवार्य करने का नियम लाया गया था। आय में जुड़ेगी रकम लेकिन वापस भी मिल जाएगी- बताया जा रहा है कि भले ही भुगतान 45 दिन में न करने पर खरीदार के बैलेंस शीट में आय के रूप में यदर्ज हो जाएगी और उसे टैक्स बी देना पड़ेगा। लेकिन बाद में उस खरीदारी की रकम का भुगतान करने पर खरीदारी अगले साल सरकार से टैक्स की रकम रिफंड के रूप में वापस ले सकता है। 90 दिन की मोहलत चाहते है- बताया जा रहा है कि एमएसएमई इस नियम में तोड़ा बदलाव चाहते है,विशेषकर टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े एमएसएमई भुगतान नियम में 45 दिन की जगह 90 दिन चाहते है। इसके साथ ही कैट द्वारा भी इस संबंध में मांग की गई थी कि वह इस नियम को अप्रैल 2024 से लागू न कर अप्रैल 2025 से करें। निर्माता का एमएसएमई सेक्टर में रजिस्टर्ड होना जरूरी- जानकारों का कहना है कि इसमें शर्त यह है कि कोई भी सूक्ष्म, लघु और मध्यम ईकाई(एमएसएमई) रजिस्टर्ड होना चाहिए। एमएसएमई उद्योग रजिस्टर्ड है तो ही उसे इसका फायदा मिलेगा। छोटी ईकाईयों के लिए यह बड़ा लाभदायक है। विवाद है तो यह नियम- भुगतान में अगर किसी भी प्रकार से कोई विवाद है तो उस स्थिति में 45दिनों के अंदर भुगतान करना आवश्यकता नहीं है। लेकिन जैसे ही विवाद का निपटारा हो जाता है,उस दिन से लेकर 45 दिनों के अंदर भुगतान करना होगा। छोटी कंपनियों को समय पर होगा भुगतान- चार्टर्ड अकाउंटेंट चेतन तारवानी का कहना है कि इस व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बड़ी कंपनियां अब छोटी कंपनियों का भुगतान नहीं रोकेंगी। अब तक ऐसा होता था कि बड़ी कंपनियां महीनों तक भुगतान रोक देती थी। इसका लाभ एमएसएमई की उन्हीं कंपनियों को मिलेगा,जो रजिस्टर्ड होंगी। इसके लिए ईकाई मालिक बिल पर अपना एमएसएमई नंबर भी डालना शुरू कर सकते है। उन्होंने कहा कि छोटे उद्यमियों के लिए यह नियम काफी फायदेमंद है।

45 दिनों में नहीं किया भुगतान तो देना पड़ सकता है 30 प्रतिशत टैक्स
केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम ईकाई उद्यमियों के भुगतान के लिएदीबड़ी राहत रायपुर। केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम ईकाई (एमएसएमई) उद्यमियों के भुगतान के लिए बड़ी राहत दी है। इसके तहत अगर 45 दिनों के अंदर एमएसएमई उद्यमियों का भुगतान नहीं होता तो भुगतान की राशि खरीदारी के आय में जुड़ जाएगी। साथ ही हो सकता है कि 30 प्रतिशत टैक्स देना पड़ सकता है।एमएसएमई के मुताबिक यह नियम एक अप्रैल से लागू हो रहा है और इसके अनुसार अगर 31 मार्च तक एमएसएमई का भुगतान नहीं हुआ है तो खरीदारी की रकम आय में जोड़ दी जाएगी। जानकारों का कहना है कि ऐसा नियम इसलिए लाया गया है ताकि भुगतान के लिए छोटी कंपनियों या छोटे कारोबारी को भटकना न पड़े। मालूम हो कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पिछले वर्ष एक फरवरी को पेस बजट में एमएसएमई की कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) की समस्या को दूर करने के लिए 45 दिनों के भीतर खरीदारी के भुगतान को अनिवार्य करने का नियम लाया गया था। आय में जुड़ेगी रकम लेकिन वापस भी मिल जाएगी- बताया जा रहा है कि भले ही भुगतान 45 दिन में न करने पर खरीदार के बैलेंस शीट में आय के रूप में यदर्ज हो जाएगी और उसे टैक्स बी देना पड़ेगा। लेकिन बाद में उस खरीदारी की रकम का भुगतान करने पर खरीदारी अगले साल सरकार से टैक्स की रकम रिफंड के रूप में वापस ले सकता है। 90 दिन की मोहलत चाहते है- बताया जा रहा है कि एमएसएमई इस नियम में तोड़ा बदलाव चाहते है,विशेषकर टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े एमएसएमई भुगतान नियम में 45 दिन की जगह 90 दिन चाहते है। इसके साथ ही कैट द्वारा भी इस संबंध में मांग की गई थी कि वह इस नियम को अप्रैल 2024 से लागू न कर अप्रैल 2025 से करें। निर्माता का एमएसएमई सेक्टर में रजिस्टर्ड होना जरूरी- जानकारों का कहना है कि इसमें शर्त यह है कि कोई भी सूक्ष्म, लघु और मध्यम ईकाई(एमएसएमई) रजिस्टर्ड होना चाहिए। एमएसएमई उद्योग रजिस्टर्ड है तो ही उसे इसका फायदा मिलेगा। छोटी ईकाईयों के लिए यह बड़ा लाभदायक है। विवाद है तो यह नियम- भुगतान में अगर किसी भी प्रकार से कोई विवाद है तो उस स्थिति में 45दिनों के अंदर भुगतान करना आवश्यकता नहीं है। लेकिन जैसे ही विवाद का निपटारा हो जाता है,उस दिन से लेकर 45 दिनों के अंदर भुगतान करना होगा। छोटी कंपनियों को समय पर होगा भुगतान- चार्टर्ड अकाउंटेंट चेतन तारवानी का कहना है कि इस व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बड़ी कंपनियां अब छोटी कंपनियों का भुगतान नहीं रोकेंगी। अब तक ऐसा होता था कि बड़ी कंपनियां महीनों तक भुगतान रोक देती थी। इसका लाभ एमएसएमई की उन्हीं कंपनियों को मिलेगा,जो रजिस्टर्ड होंगी। इसके लिए ईकाई मालिक बिल पर अपना एमएसएमई नंबर भी डालना शुरू कर सकते है। उन्होंने कहा कि छोटे उद्यमियों के लिए यह नियम काफी फायदेमंद है।