कोर्ट ने सेना के वरिष्ठ अधिकारी को किया तलब

चुनाव रद्द करने की याचिका लगाने के बाद नहीं हुए थे पेश इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को सेना के एक सेवानिवृत्त अधिकारी को तलब किया। अधिकारी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत में पेश नहीं हुआ था, जिसमें कथित धांधली के कारण आम चुनाव के नतीजे अमान्य घोषित करने की मांग की गई है। देश में आठ फरवरी को विवादास्पद चुनाव हुए थे। इसके बाद चुनाव के नतीजे सामने आए तो कई दलों ने इसमें बड़े स्तर धांधली के गंभीर आरोप लगाए। मतदान के दस दिन बाद भी यह साफ नहीं हो पाया है कि देश में अगली संघीय सरकार कौन दल बनाएगा। आम चुनाव के त्रिशंकु परिणाम सामने आए थे। इसमें पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने संसद की सबसे ज्यादा सीट पर जीत हासिल की। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने एलान किया है कि वे गठबंधन सरकार बनाएंगे। पीएमएल-एन और पीपीपी के गठबंधन का मतलब होगा कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पीटीआई पार्टी संघीय सरकार नहीं बना पाएगी। पीटीआई का आरोप है कि दोनों प्रतिद्वंद्वी दल सैन्य प्रतिष्ठान की मदद से लोगों के जनादेश की चोरी करने की कोशिश कर रहीं हैं। डॉन अखबार की खबर के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) काजी फैज ईसा की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) अली खान की याचिका पर सुनवाई की। लेकिन याचिकाकर्ता अदालत के समक्ष पेश नहीं हुआ। सीजेपी ने कहा, क्या याचिका केवल प्रचार के लिए दायर की गई थी? इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। हम उच्चतम न्यायालय को गलत तरकी से इस्तेमाल नहीं होने देंगे। इसने यह भी कहा कि याचिका 12 फरवरी को दायर की गई थी। लेकिन मीडिया में पहले से रिपोर्ट की गई थी। अदालत ने यह भी कहा कि संपर्क करने पर याचिकाकर्ता का फोन नंबर बंद पाया गया। इसके बाद शीर्ष अदालत ने रक्षा मंत्रालय के जरिए से पाकिस्तान के पूर्व वरिष्ठ सैन्य अधिकारी को नोटिस जारी किया और सुनवाई 21 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी।

कोर्ट ने सेना के वरिष्ठ अधिकारी को किया तलब
चुनाव रद्द करने की याचिका लगाने के बाद नहीं हुए थे पेश इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को सेना के एक सेवानिवृत्त अधिकारी को तलब किया। अधिकारी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत में पेश नहीं हुआ था, जिसमें कथित धांधली के कारण आम चुनाव के नतीजे अमान्य घोषित करने की मांग की गई है। देश में आठ फरवरी को विवादास्पद चुनाव हुए थे। इसके बाद चुनाव के नतीजे सामने आए तो कई दलों ने इसमें बड़े स्तर धांधली के गंभीर आरोप लगाए। मतदान के दस दिन बाद भी यह साफ नहीं हो पाया है कि देश में अगली संघीय सरकार कौन दल बनाएगा। आम चुनाव के त्रिशंकु परिणाम सामने आए थे। इसमें पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने संसद की सबसे ज्यादा सीट पर जीत हासिल की। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने एलान किया है कि वे गठबंधन सरकार बनाएंगे। पीएमएल-एन और पीपीपी के गठबंधन का मतलब होगा कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पीटीआई पार्टी संघीय सरकार नहीं बना पाएगी। पीटीआई का आरोप है कि दोनों प्रतिद्वंद्वी दल सैन्य प्रतिष्ठान की मदद से लोगों के जनादेश की चोरी करने की कोशिश कर रहीं हैं। डॉन अखबार की खबर के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) काजी फैज ईसा की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) अली खान की याचिका पर सुनवाई की। लेकिन याचिकाकर्ता अदालत के समक्ष पेश नहीं हुआ। सीजेपी ने कहा, क्या याचिका केवल प्रचार के लिए दायर की गई थी? इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। हम उच्चतम न्यायालय को गलत तरकी से इस्तेमाल नहीं होने देंगे। इसने यह भी कहा कि याचिका 12 फरवरी को दायर की गई थी। लेकिन मीडिया में पहले से रिपोर्ट की गई थी। अदालत ने यह भी कहा कि संपर्क करने पर याचिकाकर्ता का फोन नंबर बंद पाया गया। इसके बाद शीर्ष अदालत ने रक्षा मंत्रालय के जरिए से पाकिस्तान के पूर्व वरिष्ठ सैन्य अधिकारी को नोटिस जारी किया और सुनवाई 21 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी।