शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने भरी हुंकार

छत्तीसगढ़ संवाददाता दुर्ग, 6 मार्च। पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज तीन दिवसीय प्रवास पर दुर्ग पहुंचे। इस दौरान महाराजा अग्रसेन वेलफेयर ट्रस्ट बायपास रोड के पास आयोजित हिंदू राष्ट्र धर्म सभा में उन्होंने एक बार फिर भारत के उत्कर्ष और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने को लेकर हुंकार भरी। उन्होंने कहा कि यह देश सनातनियों का है। हिंदू राष्ट्र उनका अधिकार है। इसलिए भारत को हिंदू राष्ट्र जल्द घोषित किया जाना चाहिए। धर्मसभा में शंकराचार्य महाराज ने धर्म, विज्ञान और कई धार्मिक मान्यताओं पर श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन किया। धर्मसभा में दुर्ग-भिलाई के अलावा प्रदेशभर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में जुटे। दुर्ग प्रवास के अंतिम दिन मंगलवार को शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने मीडिया से चर्चा की। उन्होंने राष्ट्र उत्कर्ष व भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के संकल्प अभियान से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि भगवान के स्मरण का बल, सदभावनापूर्वक संवाद, सेवा का प्रकल्प और संगठन सेवा इन चार विषयों को अगर सरकार स्थान देगी, तो हिंदू राष्ट्र जल्द बन जाएगा। सभी के पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिंदू थे। यह श्रीमद् भागवत व अन्य ग्रंथो के विश्लेषण से स्पष्ट हो गया है। शंकराचार्य जी ने कहा कि जो सनातनी धर्म को नहीं मानता है। उसका जीवन खतरे में है। उसका कभी उत्कर्ष नहीं हो सकता है। विज्ञान व वैज्ञानिकों का सनातन धर्म ने मार्गदर्शन किया है। सनातन धर्म के सिद्धांत का नेतृत्व करने वाले विकसित हुए हैं, जबकि इसके विपरीत इसे निपटाने की सोच रखने वाले विलुप्त हो गए हैं। सनातन धर्म सृष्टि की रचना करता है। परमात्मा जो सिद्धांत को मानते हैं, वहीं सनातन का सिद्धांत है, वही सनातन धर्म है। जिसका कोई कभी बाल बांका नहीं कर सकता है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अयोध्या नहीं जाने संबंधी सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने कहा कि अयोध्या वे जाते रहते हैं। मुझे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में एक व्यक्ति को साथ में लेकर आने का न्योता मिला था। मोदी जी मूर्ति की पूजा करते और मैं क्या वहां 40 फीट नीचे दूर बैठकर तालियां बजाता। समारोह में एक संत का नाम भी नहीं लिया गया। मैं संत हूं, सोच समझकर राष्ट्र हित में कदम उठाता हूं। राम व मोदी से मुझे कोई द्वेष नहीं है। वहां जाना पद के विपरीत था। अहंकार की बात नहीं है, पद की रक्षा करना हमारा दायित्व है। देश में बढ़ते धर्मांतरण पर शंकराचार्य ने कहा कि धर्मांतरण शासनतंत्र की दुर्बलता का परिणाम है। इसे राजनेता केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए बढ़ावा दे रहे हैं। सनातन धर्म दर्शनिक, विज्ञान व व्यवहार तीनों से सर्वश्रेष्ठ है, तो फिर कैसे कोई धर्मांतरित हो सकता है। गरीबी व सेवा के नाम पर हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाने का धर्मांतरण बड़ा षड्यंत्र है। राजनीतिक दल के सत्तापक्ष व विपक्ष के दायित्वों पर शंकराचार्य का कहना था कि सदन में किसी भी विषय का कभी भी आंख मूंदकर विरोध नहीं होना चाहिए। अगर विपक्ष मजबूत होता है, तो सत्ता पक्ष को सावधान होकर शासन करना चाहिए। विपक्ष कमजोर होता है तो शासनतंत्र मनमानी करता है। विपक्ष का बलवान होना आवश्यक है।

शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने भरी हुंकार
छत्तीसगढ़ संवाददाता दुर्ग, 6 मार्च। पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज तीन दिवसीय प्रवास पर दुर्ग पहुंचे। इस दौरान महाराजा अग्रसेन वेलफेयर ट्रस्ट बायपास रोड के पास आयोजित हिंदू राष्ट्र धर्म सभा में उन्होंने एक बार फिर भारत के उत्कर्ष और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने को लेकर हुंकार भरी। उन्होंने कहा कि यह देश सनातनियों का है। हिंदू राष्ट्र उनका अधिकार है। इसलिए भारत को हिंदू राष्ट्र जल्द घोषित किया जाना चाहिए। धर्मसभा में शंकराचार्य महाराज ने धर्म, विज्ञान और कई धार्मिक मान्यताओं पर श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन किया। धर्मसभा में दुर्ग-भिलाई के अलावा प्रदेशभर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में जुटे। दुर्ग प्रवास के अंतिम दिन मंगलवार को शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने मीडिया से चर्चा की। उन्होंने राष्ट्र उत्कर्ष व भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के संकल्प अभियान से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि भगवान के स्मरण का बल, सदभावनापूर्वक संवाद, सेवा का प्रकल्प और संगठन सेवा इन चार विषयों को अगर सरकार स्थान देगी, तो हिंदू राष्ट्र जल्द बन जाएगा। सभी के पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिंदू थे। यह श्रीमद् भागवत व अन्य ग्रंथो के विश्लेषण से स्पष्ट हो गया है। शंकराचार्य जी ने कहा कि जो सनातनी धर्म को नहीं मानता है। उसका जीवन खतरे में है। उसका कभी उत्कर्ष नहीं हो सकता है। विज्ञान व वैज्ञानिकों का सनातन धर्म ने मार्गदर्शन किया है। सनातन धर्म के सिद्धांत का नेतृत्व करने वाले विकसित हुए हैं, जबकि इसके विपरीत इसे निपटाने की सोच रखने वाले विलुप्त हो गए हैं। सनातन धर्म सृष्टि की रचना करता है। परमात्मा जो सिद्धांत को मानते हैं, वहीं सनातन का सिद्धांत है, वही सनातन धर्म है। जिसका कोई कभी बाल बांका नहीं कर सकता है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अयोध्या नहीं जाने संबंधी सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने कहा कि अयोध्या वे जाते रहते हैं। मुझे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में एक व्यक्ति को साथ में लेकर आने का न्योता मिला था। मोदी जी मूर्ति की पूजा करते और मैं क्या वहां 40 फीट नीचे दूर बैठकर तालियां बजाता। समारोह में एक संत का नाम भी नहीं लिया गया। मैं संत हूं, सोच समझकर राष्ट्र हित में कदम उठाता हूं। राम व मोदी से मुझे कोई द्वेष नहीं है। वहां जाना पद के विपरीत था। अहंकार की बात नहीं है, पद की रक्षा करना हमारा दायित्व है। देश में बढ़ते धर्मांतरण पर शंकराचार्य ने कहा कि धर्मांतरण शासनतंत्र की दुर्बलता का परिणाम है। इसे राजनेता केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए बढ़ावा दे रहे हैं। सनातन धर्म दर्शनिक, विज्ञान व व्यवहार तीनों से सर्वश्रेष्ठ है, तो फिर कैसे कोई धर्मांतरित हो सकता है। गरीबी व सेवा के नाम पर हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाने का धर्मांतरण बड़ा षड्यंत्र है। राजनीतिक दल के सत्तापक्ष व विपक्ष के दायित्वों पर शंकराचार्य का कहना था कि सदन में किसी भी विषय का कभी भी आंख मूंदकर विरोध नहीं होना चाहिए। अगर विपक्ष मजबूत होता है, तो सत्ता पक्ष को सावधान होकर शासन करना चाहिए। विपक्ष कमजोर होता है तो शासनतंत्र मनमानी करता है। विपक्ष का बलवान होना आवश्यक है।