राकेश टिकैत ने मेरठ कलेक्ट्रेट में किया प्रदर्शन

यूपी। भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने अपनी मांगों को लेकर यूपी के अलग-अलग जिलों में विरोध-प्रदर्शन किया. इसी कड़ी में मेरठ कलेक्ट्रेट पर भी जबरदस्त तरीके से प्रोटेस्ट किया गया. इस विरोध-प्रदर्शन की अगुवाई खुद किसान नेता राकेश टिकैत ने की. उनकी अगुवाई में सैकड़ों किसानों ने ट्रैक्टर लेकर डीएम ऑफिस की तरफ कूच किया. कई किसान तो बैरिकेड गिराते हुए ट्रैक्टर लेकर कलेक्ट्रेट के अंदर तक पहुंच गए. जिसके चलते कलेक्ट्रेट का माहौल बेहद गरम हो गया. प्रोटेस्ट के दौरान ट्रैक्टर चलाते हुए राकेश टिकैत ने मीडिया से कहा कि हमारा यह विरोध-प्रदर्शन देश भर में जिला मुख्यालयों में चल रहा है. आज 3 बजे तक प्रोटेस्ट होगा, इसके बाद आगे की रूपरेखा बनाई जाएगी. अभी संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में तय होगा कि हमें दिल्ली जाना है या नहीं. या फिर किसी और तरीके से प्रदर्शन करना है. कल (22 फरवरी) हमारी बैठक है. बकौल राकेश टिकैत- वे अगर हमारे लिए कील लगाएंगे तो हम भी अपने गांव में कील लगा देंगे. हमें भी अपने गांव की बैरिकेडिंग करनी होगी. दिल्ली नहीं आने दे रहे तो इलेक्शन में हम भी उनको गांव नहीं आने देंगे. आंदोलन को कुचलने का काम करेंगे तो उन्हें गांव में कौन आने देगा? कील तो गांव में भी है.

राकेश टिकैत ने मेरठ कलेक्ट्रेट में किया प्रदर्शन
यूपी। भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने अपनी मांगों को लेकर यूपी के अलग-अलग जिलों में विरोध-प्रदर्शन किया. इसी कड़ी में मेरठ कलेक्ट्रेट पर भी जबरदस्त तरीके से प्रोटेस्ट किया गया. इस विरोध-प्रदर्शन की अगुवाई खुद किसान नेता राकेश टिकैत ने की. उनकी अगुवाई में सैकड़ों किसानों ने ट्रैक्टर लेकर डीएम ऑफिस की तरफ कूच किया. कई किसान तो बैरिकेड गिराते हुए ट्रैक्टर लेकर कलेक्ट्रेट के अंदर तक पहुंच गए. जिसके चलते कलेक्ट्रेट का माहौल बेहद गरम हो गया. प्रोटेस्ट के दौरान ट्रैक्टर चलाते हुए राकेश टिकैत ने मीडिया से कहा कि हमारा यह विरोध-प्रदर्शन देश भर में जिला मुख्यालयों में चल रहा है. आज 3 बजे तक प्रोटेस्ट होगा, इसके बाद आगे की रूपरेखा बनाई जाएगी. अभी संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में तय होगा कि हमें दिल्ली जाना है या नहीं. या फिर किसी और तरीके से प्रदर्शन करना है. कल (22 फरवरी) हमारी बैठक है. बकौल राकेश टिकैत- वे अगर हमारे लिए कील लगाएंगे तो हम भी अपने गांव में कील लगा देंगे. हमें भी अपने गांव की बैरिकेडिंग करनी होगी. दिल्ली नहीं आने दे रहे तो इलेक्शन में हम भी उनको गांव नहीं आने देंगे. आंदोलन को कुचलने का काम करेंगे तो उन्हें गांव में कौन आने देगा? कील तो गांव में भी है.