भारतीय ज्ञान परंपरा का विस्तार पूरे विश्व में होना चाहिए : बिहार के राज्यपाल

पटना, 14 फरवरी । बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने बुधवार को कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का विस्तार पूरे विश्व में होना चाहिए। इसके लिए हमें इसे ठीक ढंग से समझने की आवश्यकता है। राजभवन में भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को समझने की जरूरत है। प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. चंद किरण सलूजा ने मुख्य वक्ता के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश है। व्यक्ति का समग्र विकास ही शिक्षा का उद्देश्य है तथा इसका वर्णन तैत्तरीय उपनिषद् में विस्तार से किया गया है। कला, खेल और संगीत की शिक्षा को बच्चों के लिए अत्यन्त आवश्यक बताते हुए उन्होंने कहा कि बहुविषयक शिक्षा बच्चों के मानसिक विकास के लिए उपयोगी है। प्राचीन भारत में इस पर काफी बल दिया गया था। बच्चों को उनकी भाषा में ही शिक्षा दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा के चार स्तंभ बताए गये हैं, ज्ञान हेतु शिक्षा, कर्म हेतु शिक्षा, मिलकर रहने हेतु शिक्षा और मनुष्य बनने के लिए शिक्षा। ये चारों सिद्धांत भारतीय ज्ञान परंपरा में सन्निहित हैं तथा इन्हें राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल किया गया है। इससे पहले राज्यपाल ने मां सरस्वती की मूर्ति पर पुष्प अर्पित किया तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। (आईएएनएस)

भारतीय ज्ञान परंपरा का विस्तार पूरे विश्व में होना चाहिए : बिहार के राज्यपाल
पटना, 14 फरवरी । बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने बुधवार को कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का विस्तार पूरे विश्व में होना चाहिए। इसके लिए हमें इसे ठीक ढंग से समझने की आवश्यकता है। राजभवन में भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को समझने की जरूरत है। प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. चंद किरण सलूजा ने मुख्य वक्ता के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश है। व्यक्ति का समग्र विकास ही शिक्षा का उद्देश्य है तथा इसका वर्णन तैत्तरीय उपनिषद् में विस्तार से किया गया है। कला, खेल और संगीत की शिक्षा को बच्चों के लिए अत्यन्त आवश्यक बताते हुए उन्होंने कहा कि बहुविषयक शिक्षा बच्चों के मानसिक विकास के लिए उपयोगी है। प्राचीन भारत में इस पर काफी बल दिया गया था। बच्चों को उनकी भाषा में ही शिक्षा दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा के चार स्तंभ बताए गये हैं, ज्ञान हेतु शिक्षा, कर्म हेतु शिक्षा, मिलकर रहने हेतु शिक्षा और मनुष्य बनने के लिए शिक्षा। ये चारों सिद्धांत भारतीय ज्ञान परंपरा में सन्निहित हैं तथा इन्हें राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल किया गया है। इससे पहले राज्यपाल ने मां सरस्वती की मूर्ति पर पुष्प अर्पित किया तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। (आईएएनएस)