भारत ने अफ्रीका के लिए चावल निर्यात को दी मंजूरी

नई दिल्ली, 4 मार्च । केंद्र सरकार ने ग्लोबल साउथ तक भारत की पहुंच बनाने के लिए तीन अफ्रीकी देशों में 1,10,000 टन चावल के निर्यात की इजाजत दी है। ऐसा उन देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने में मदद करने के किया गया है। भारत के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, तंजानिया को 30,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति दी गई है, जबकि जिबूती को 30,000 टन टूटे चावल और गिनी बिसाऊ को 50,000 टन टूटे चावल के निर्यात की अनुमति दी गई है। घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए 20 जुलाई, 2023 से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन अब मित्र देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ निर्यात की अनुमति दी जा रही है। इन देशों में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति बाधित हो गई है जिससे इन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अफ्रीकी देशों ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत से समर्थन मांगा था। वे खाद्य आपूर्ति की कमी और इसके कारण अनियंत्रित मुद्रास्फीति की समस्याओं से जूझ रहे हैं। (आईएएनएस)

भारत ने अफ्रीका के लिए चावल निर्यात को दी मंजूरी
नई दिल्ली, 4 मार्च । केंद्र सरकार ने ग्लोबल साउथ तक भारत की पहुंच बनाने के लिए तीन अफ्रीकी देशों में 1,10,000 टन चावल के निर्यात की इजाजत दी है। ऐसा उन देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने में मदद करने के किया गया है। भारत के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, तंजानिया को 30,000 टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति दी गई है, जबकि जिबूती को 30,000 टन टूटे चावल और गिनी बिसाऊ को 50,000 टन टूटे चावल के निर्यात की अनुमति दी गई है। घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए 20 जुलाई, 2023 से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन अब मित्र देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ निर्यात की अनुमति दी जा रही है। इन देशों में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति बाधित हो गई है जिससे इन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अफ्रीकी देशों ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत से समर्थन मांगा था। वे खाद्य आपूर्ति की कमी और इसके कारण अनियंत्रित मुद्रास्फीति की समस्याओं से जूझ रहे हैं। (आईएएनएस)