बारनवापारा के जंगलों में दिखा बाघ, 13 साल पहले आखिरी बार दहाड़ सुनी गई थी

छत्तीसगढ़ संवाददाता बलौदाबाजार, 10 मार्च।बारनवापारा के जंगलों में 30 साल बाद बाघ दिखाने की पुष्टि हुई है। शुक्रवार शाम दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। इसमें से एक बाघ सडक़ क्रॉस करते दिख रहा था। शुरुआत में तो वन विभाग के अधिकारी इस वीडियो को किसी टाइगर रिसोर्ट का बताते रहे, लेकिन अब इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि बाघ बारनवापारा के जंगलों में ही है। फिलहाल यह महासमुंद जिले में स्थित अभ्यारण के इलाके में है। इससे पहले वन विभाग ने साल 2010 में बाघ की दहाड़ सुनने का दावा किया था लेकिन बाघ कहीं नजर नहीं आया था, फिलहाल यह बाघ बारनवापारा के महासमुंद डिविजन में सिरपुर के जंगलों के आसपास है। शनिवार को इसने इलाके में दो मवेशियों का शिकार भी किया है। डीएफओ मयंक अग्रवाल का कहना है कि टाइगर को बारनवापारा के महासमुंद जिले में पढऩे वाले हिस्से में देखा गया है। महासमुंद फॉरेस्ट डिविजन की टीम लगातार टाइगर के लोकेशन की ट्रैकिंग कर रही है। हमने भी मॉनिटरिंग के लिए अभी टीम तैयार कर ली है बारनवापारा अभ्यारण की सीमा तीन जिलों से लगी है। लगभग 245 वर्ग किलोमीटर में पहले इस अभ्यारण का बड़ा हिस्सा बलौदाबाजार जिले में है। कुछ हिस्सा बिलाईगढ़ सारंगढ़ और महासमुंद जिले में भी आता है। यहां हाथी तेंदुआ गौर भालू बारहसिंग शीतल भेडिय़ा लकड़बग्घा जैसे छोटे बड़े जानवर काफी संख्या में है। लेकिन 90 के दशक के बाद से ही बाघ की कमी सभी को खलती रही है। अभी बारनवापारा में बाघ देखने जाने से वन्य जीव फ्रॉम प्रेमियों में काफी खुशी है। मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को टाइगर को छपोरा और जलकी के बीच देखा गया। यह इलाका महासमुंद जिले में आता है। विभाग के सूत्रों के बताया कि बलौदबाजार तथा महासमुंद जिले के बीच के गांव में वन विभाग ने शुक्रवार को ही मुनादी करवाया दिया करवा दी थी। ग्रामीणों से कहा गया कि कुछ हिस्सों तक वह रात में बाहर निकलने से परहेज करें। जंगल की ओर जाने से भी मना किया गया है। गांव वालों की सुरक्षा के साथ-साथ यह बाघ की सुरक्षा के लिहाज से भी जरूरी है। यही वजह है कि महासमुंद और बलौदाबाजार वन हमले लगातार बाघ के मूवमेंट पर नजर रख नजर बनाए रखे हैं। इन इलाके में हाई अलर्ट बाघ अभी सिरपुर के आसपास जंगलों में घूम रहा है। ऐसे में पीढ़ी मोहकम खडसा सेनकपाट अचानकपुर सिरपुर रायतुम सुकुलबाय तालाझर बोरिद पसीद अनलोर छताल समेत आसपास के सभी गांव में हाई अलर्ट जारी किया गया है। गांव वालों से कहा गया है कि बेवजह जंगल ना जाए रात के समय बाहर आने जाने से बचे आसपास बाघ नजर आए तो तत्काल वन विभाग को सूचना देने की कहा गया है। शिकार न हो जाए इसलिए अफसर को चेताया रायपुर के वन जीव प्रेमियों नितिन सिंघवी ने वन विभाग को कई जरूरी सुझाव भेजे हैं ताकि बाघ को शिकार से बचाया जा सके। बाघ आया कहां से ? बारनवापारा में 30 साल बाद बाघ दिखाने का बड़ा सवाल यह है कि बाघ आया कहां से। अभी ना तो उदंती सीतानदी रिसोर्ट में कोई बाघ है न ही ओडिशा में। एक संभावना यह है कि बाघ महाराष्ट्र के तंबोड़ा अंधेरी टाइगर रिसोर्ट से नवल गांव नगर जिले होते हुए बस्तर पहुंचा होगा, यहां टाइगर कॉरिडोर है। संभव है कि किसी कॉरिडोर से वह उदंती सीतानदी घूमता अभ्यारण होते बारनवापारा पहुंचा होगा। हालांकि बाघ कहां का है, इसकी पुष्टि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया द्वारा संधारित फोटो मिलन से ही होगी।

बारनवापारा के जंगलों में दिखा बाघ, 13 साल पहले आखिरी बार दहाड़ सुनी गई थी
छत्तीसगढ़ संवाददाता बलौदाबाजार, 10 मार्च।बारनवापारा के जंगलों में 30 साल बाद बाघ दिखाने की पुष्टि हुई है। शुक्रवार शाम दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। इसमें से एक बाघ सडक़ क्रॉस करते दिख रहा था। शुरुआत में तो वन विभाग के अधिकारी इस वीडियो को किसी टाइगर रिसोर्ट का बताते रहे, लेकिन अब इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि बाघ बारनवापारा के जंगलों में ही है। फिलहाल यह महासमुंद जिले में स्थित अभ्यारण के इलाके में है। इससे पहले वन विभाग ने साल 2010 में बाघ की दहाड़ सुनने का दावा किया था लेकिन बाघ कहीं नजर नहीं आया था, फिलहाल यह बाघ बारनवापारा के महासमुंद डिविजन में सिरपुर के जंगलों के आसपास है। शनिवार को इसने इलाके में दो मवेशियों का शिकार भी किया है। डीएफओ मयंक अग्रवाल का कहना है कि टाइगर को बारनवापारा के महासमुंद जिले में पढऩे वाले हिस्से में देखा गया है। महासमुंद फॉरेस्ट डिविजन की टीम लगातार टाइगर के लोकेशन की ट्रैकिंग कर रही है। हमने भी मॉनिटरिंग के लिए अभी टीम तैयार कर ली है बारनवापारा अभ्यारण की सीमा तीन जिलों से लगी है। लगभग 245 वर्ग किलोमीटर में पहले इस अभ्यारण का बड़ा हिस्सा बलौदाबाजार जिले में है। कुछ हिस्सा बिलाईगढ़ सारंगढ़ और महासमुंद जिले में भी आता है। यहां हाथी तेंदुआ गौर भालू बारहसिंग शीतल भेडिय़ा लकड़बग्घा जैसे छोटे बड़े जानवर काफी संख्या में है। लेकिन 90 के दशक के बाद से ही बाघ की कमी सभी को खलती रही है। अभी बारनवापारा में बाघ देखने जाने से वन्य जीव फ्रॉम प्रेमियों में काफी खुशी है। मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को टाइगर को छपोरा और जलकी के बीच देखा गया। यह इलाका महासमुंद जिले में आता है। विभाग के सूत्रों के बताया कि बलौदबाजार तथा महासमुंद जिले के बीच के गांव में वन विभाग ने शुक्रवार को ही मुनादी करवाया दिया करवा दी थी। ग्रामीणों से कहा गया कि कुछ हिस्सों तक वह रात में बाहर निकलने से परहेज करें। जंगल की ओर जाने से भी मना किया गया है। गांव वालों की सुरक्षा के साथ-साथ यह बाघ की सुरक्षा के लिहाज से भी जरूरी है। यही वजह है कि महासमुंद और बलौदाबाजार वन हमले लगातार बाघ के मूवमेंट पर नजर रख नजर बनाए रखे हैं। इन इलाके में हाई अलर्ट बाघ अभी सिरपुर के आसपास जंगलों में घूम रहा है। ऐसे में पीढ़ी मोहकम खडसा सेनकपाट अचानकपुर सिरपुर रायतुम सुकुलबाय तालाझर बोरिद पसीद अनलोर छताल समेत आसपास के सभी गांव में हाई अलर्ट जारी किया गया है। गांव वालों से कहा गया है कि बेवजह जंगल ना जाए रात के समय बाहर आने जाने से बचे आसपास बाघ नजर आए तो तत्काल वन विभाग को सूचना देने की कहा गया है। शिकार न हो जाए इसलिए अफसर को चेताया रायपुर के वन जीव प्रेमियों नितिन सिंघवी ने वन विभाग को कई जरूरी सुझाव भेजे हैं ताकि बाघ को शिकार से बचाया जा सके। बाघ आया कहां से ? बारनवापारा में 30 साल बाद बाघ दिखाने का बड़ा सवाल यह है कि बाघ आया कहां से। अभी ना तो उदंती सीतानदी रिसोर्ट में कोई बाघ है न ही ओडिशा में। एक संभावना यह है कि बाघ महाराष्ट्र के तंबोड़ा अंधेरी टाइगर रिसोर्ट से नवल गांव नगर जिले होते हुए बस्तर पहुंचा होगा, यहां टाइगर कॉरिडोर है। संभव है कि किसी कॉरिडोर से वह उदंती सीतानदी घूमता अभ्यारण होते बारनवापारा पहुंचा होगा। हालांकि बाघ कहां का है, इसकी पुष्टि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया द्वारा संधारित फोटो मिलन से ही होगी।