ग्रामीण पर भालू का हमला, भागकर बचाई जान, जख्मी

छत्तीसगढ़ संवाददाता लोरमी, 17 फरवरी। जंगल में लकड़ी लेने गए ग्रामीण पर आज भालू ने हमला कर दिया। उसने भालू से लड़ाई लड़ी और अपनी जान बचाकर भागा। घायल ग्रामीण का अस्पताल में इलाज जारी है। पूरा मामला पूरा मामला लोरमी से लगे परसवाड़ा जंगल का है, जहां पर नानु विश्वकर्मा हर रोज की भांति सुबह उठकर लकड़ी लेने गया था। इस दौरान भालू ने उस पर हमला कर दिया। उसने जैसे तैसे कर भालू से बराबर की लड़ाई लड़ी और अपनी जान बचाकर वहां से भागा। भालू के हमले से नानू विश्वकर्मा बुरी तरीके से घायल हो गया, जिससे उसके हाथ की हड्डी टूट गई है और शरीर में कई जगह गंभीर चोंट आई है। वह इसी हालत पर जंगल से अपने घर तक पहुंचा। ग्रामीणों ने घटना की जानकारी गांव के सरपंच सलीम खान को दी। सरपंच और भाजपा के पार्षद सुरेश श्रीवास विनय साहू और ग्रामीणों ने मिलकर गाड़ी की व्यवस्था कर उसे 50 बिस्तर हॉस्पिटल में भेजा, जहां पर उनका इलाज जारी है। हमले की पूरी जानकारी सरपंच के द्वारा वन विभाग के अधिकारियों को दे दिया गया, उसके बावजूद वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी नानू को देखने के लिए नहीं पहुंचे। इलाज के दौरान तक विभाग के कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति वहां पर मौजूद नहीं था, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया।

ग्रामीण पर भालू का हमला, भागकर बचाई जान, जख्मी
छत्तीसगढ़ संवाददाता लोरमी, 17 फरवरी। जंगल में लकड़ी लेने गए ग्रामीण पर आज भालू ने हमला कर दिया। उसने भालू से लड़ाई लड़ी और अपनी जान बचाकर भागा। घायल ग्रामीण का अस्पताल में इलाज जारी है। पूरा मामला पूरा मामला लोरमी से लगे परसवाड़ा जंगल का है, जहां पर नानु विश्वकर्मा हर रोज की भांति सुबह उठकर लकड़ी लेने गया था। इस दौरान भालू ने उस पर हमला कर दिया। उसने जैसे तैसे कर भालू से बराबर की लड़ाई लड़ी और अपनी जान बचाकर वहां से भागा। भालू के हमले से नानू विश्वकर्मा बुरी तरीके से घायल हो गया, जिससे उसके हाथ की हड्डी टूट गई है और शरीर में कई जगह गंभीर चोंट आई है। वह इसी हालत पर जंगल से अपने घर तक पहुंचा। ग्रामीणों ने घटना की जानकारी गांव के सरपंच सलीम खान को दी। सरपंच और भाजपा के पार्षद सुरेश श्रीवास विनय साहू और ग्रामीणों ने मिलकर गाड़ी की व्यवस्था कर उसे 50 बिस्तर हॉस्पिटल में भेजा, जहां पर उनका इलाज जारी है। हमले की पूरी जानकारी सरपंच के द्वारा वन विभाग के अधिकारियों को दे दिया गया, उसके बावजूद वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी नानू को देखने के लिए नहीं पहुंचे। इलाज के दौरान तक विभाग के कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति वहां पर मौजूद नहीं था, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश देखा गया।