केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया बजट संवाद में हुए शामिल

रायपुर। केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया आज बजट संवाद में शामिल हुए। इससे पहले उन्होने प्रेस वार्ता को संबोधित किया। जिसमें कहा, राजीव गांधी ने भारत को 21वीं सदी में ले जाने का नारा दिया, वह नारा ही रह गया, क्योंकि उनके पास ऐसा करने के लिए प्लानिंग की कमी थी। मांडविया ने कहा कि PM मोदी 2047 तक विकसित भारत बनाएंगे। उन्होंने प्रदेश भाजपा कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में नरेंद्र मोदी और राजीव गांधी के विजन की तुलना करते हुए कहा कि मोदी जी ने अमृतकाल का विजन दिया। मोदी जी कभी टोकन में नहीं सोचते थे। मोदी जी हमेशा टोटल में सोचते हैं। ये सोच है कि भारत जब आजादी का शताब्दी वर्ष बना रहा हो। यानी देश की आजादी के 100 साल पूरे हों तब देश डेवलप कंट्री बने। मांडविया ने कहा कि मोदी जी ने विजन दिया और पाथ भी तय किया। जब हम केवल विजन दे देते हैं और पाथ तय नहीं करते हैं तो क्या स्थिति होती है मैं आपको एक उदाहरण के तौर पर समझाना चाहूंगा।जब देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे, उन्होंने उस वक्त 21वीं सदी के भारत का स्वप्न दिया, लेकिन 21वीं सदी में भारत को ले जाने के लिए पाथ तय नहीं कर पाए। तो वो नारा नारा ही रह गया।

केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया बजट संवाद में हुए शामिल
रायपुर। केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया आज बजट संवाद में शामिल हुए। इससे पहले उन्होने प्रेस वार्ता को संबोधित किया। जिसमें कहा, राजीव गांधी ने भारत को 21वीं सदी में ले जाने का नारा दिया, वह नारा ही रह गया, क्योंकि उनके पास ऐसा करने के लिए प्लानिंग की कमी थी। मांडविया ने कहा कि PM मोदी 2047 तक विकसित भारत बनाएंगे। उन्होंने प्रदेश भाजपा कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में नरेंद्र मोदी और राजीव गांधी के विजन की तुलना करते हुए कहा कि मोदी जी ने अमृतकाल का विजन दिया। मोदी जी कभी टोकन में नहीं सोचते थे। मोदी जी हमेशा टोटल में सोचते हैं। ये सोच है कि भारत जब आजादी का शताब्दी वर्ष बना रहा हो। यानी देश की आजादी के 100 साल पूरे हों तब देश डेवलप कंट्री बने। मांडविया ने कहा कि मोदी जी ने विजन दिया और पाथ भी तय किया। जब हम केवल विजन दे देते हैं और पाथ तय नहीं करते हैं तो क्या स्थिति होती है मैं आपको एक उदाहरण के तौर पर समझाना चाहूंगा।जब देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे, उन्होंने उस वक्त 21वीं सदी के भारत का स्वप्न दिया, लेकिन 21वीं सदी में भारत को ले जाने के लिए पाथ तय नहीं कर पाए। तो वो नारा नारा ही रह गया।