युवा किसान की मौत, 'दिल्ली चलो' दो दिनों के लिए स्थगित

खनौरी बॉर्डर पर शुभकरण सिंह नाम के 22 साल के एक किसान की मौत हो गई. किसानों का कहना है कि उसके सिर पर आंसू गैस के गोले से चोट लगी थी, लेकिन डॉक्टरों ने कहा है कि मौत का असली कारण पोस्टमॉर्टम के बाद ही पता चल पाएगा. डॉयचेवैलेपरचारुकार्तिकेयकीरिपोर्ट- पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस द्वारा आंसू गैस छोड़ने के बाद शुभकरण सिंह की सिर पर चोट लगने से मौत हो गई. अभी तक यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सिंह के सिर पर चोट लगी कैसे. किसानों ने दावा किया है कि चोट आंसू गैस के गोले या रबड़ की गोली से लगी जो हरियाणा पुलिस के एक अधिकारी ने चलाई थी. लेकिन मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि डॉक्टरों का कहना है कि चोट लगने के सही कारण का पता पोस्टमॉर्टम जांच के बाद ही पता चल पाएगा. दिल्ली चलो स्थगित सिंह को चोट लगने के बाद पटियाला के राजेंद्र अस्पताल ले जाया गया था, जहां उन्हें ब्रॉट डेड घोषित कर दिया गया. पंजाब पुलिस के डीआईजी (पटियाला रेंज) हरचरण सिंह भुल्लर ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया, सही जानकारी डॉक्टर ही दे पाएंगे, लेकिन हमें यह जानकारी मिली है कि उन्हें रबड़ की गोली लगी थी. सिंह की मौत के बाद किसान नेताओं ने दिल्ली चलो अभियान को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया. हरियाणा पुलिस ने एक बयान में कहा कि खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने पराली में मिर्च पाउडर डालकर पुलिस का चारों तरफ से घेराव किया, पथराव के साथ लाठी, गंडासे इस्तेमाल करते हुए पुलिसकर्मियों पर हमला किया. इस बयान में यह भी कहा गया कि इस हमले में 12 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. बयान में सिंह की मौत के बारे में कुछ नहीं कहा गया. इसके अलावा किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने दावा किया कि तीन और किसान घायल हैं और कई नौजवान लापता हैं. ठेके पर खेती करता था मृतक किसान उन्होंने अर्धसैनिक बलों पर पंजाब में घुसकर, एक बुजुर्ग के हाथ पांव तोड़ कर, उन्हें बोरे में डाल कर खेतों में फेंक देने का भी आरोप लगाया. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक शुभकरण सिंह बठिंडा के बल्लोह गांव में अपने दादा और दो बहनों के साथ रहता था. वह दो एकड़ जमीन का मालिक था और अपने चाचा के साथ मिल कर करीब 20 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर उस पर खेती करता था. उस पर उसके पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी.(dw.com)

युवा किसान की मौत, 'दिल्ली चलो' दो दिनों के लिए स्थगित
खनौरी बॉर्डर पर शुभकरण सिंह नाम के 22 साल के एक किसान की मौत हो गई. किसानों का कहना है कि उसके सिर पर आंसू गैस के गोले से चोट लगी थी, लेकिन डॉक्टरों ने कहा है कि मौत का असली कारण पोस्टमॉर्टम के बाद ही पता चल पाएगा. डॉयचेवैलेपरचारुकार्तिकेयकीरिपोर्ट- पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस द्वारा आंसू गैस छोड़ने के बाद शुभकरण सिंह की सिर पर चोट लगने से मौत हो गई. अभी तक यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सिंह के सिर पर चोट लगी कैसे. किसानों ने दावा किया है कि चोट आंसू गैस के गोले या रबड़ की गोली से लगी जो हरियाणा पुलिस के एक अधिकारी ने चलाई थी. लेकिन मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि डॉक्टरों का कहना है कि चोट लगने के सही कारण का पता पोस्टमॉर्टम जांच के बाद ही पता चल पाएगा. दिल्ली चलो स्थगित सिंह को चोट लगने के बाद पटियाला के राजेंद्र अस्पताल ले जाया गया था, जहां उन्हें ब्रॉट डेड घोषित कर दिया गया. पंजाब पुलिस के डीआईजी (पटियाला रेंज) हरचरण सिंह भुल्लर ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया, सही जानकारी डॉक्टर ही दे पाएंगे, लेकिन हमें यह जानकारी मिली है कि उन्हें रबड़ की गोली लगी थी. सिंह की मौत के बाद किसान नेताओं ने दिल्ली चलो अभियान को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया. हरियाणा पुलिस ने एक बयान में कहा कि खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने पराली में मिर्च पाउडर डालकर पुलिस का चारों तरफ से घेराव किया, पथराव के साथ लाठी, गंडासे इस्तेमाल करते हुए पुलिसकर्मियों पर हमला किया. इस बयान में यह भी कहा गया कि इस हमले में 12 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. बयान में सिंह की मौत के बारे में कुछ नहीं कहा गया. इसके अलावा किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने दावा किया कि तीन और किसान घायल हैं और कई नौजवान लापता हैं. ठेके पर खेती करता था मृतक किसान उन्होंने अर्धसैनिक बलों पर पंजाब में घुसकर, एक बुजुर्ग के हाथ पांव तोड़ कर, उन्हें बोरे में डाल कर खेतों में फेंक देने का भी आरोप लगाया. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक शुभकरण सिंह बठिंडा के बल्लोह गांव में अपने दादा और दो बहनों के साथ रहता था. वह दो एकड़ जमीन का मालिक था और अपने चाचा के साथ मिल कर करीब 20 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर उस पर खेती करता था. उस पर उसके पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी.(dw.com)