गुना में प्रजापति समाज ने मनाई महाराजा दक्ष जयंती:बाजार से होकर निकली शोभायात्रा, नगर में जगह-जगह हुआ स्वागत

प्रजापति समाज ने गुरुवार को महाराजा दक्ष की जयंती पूरे हर्षोल्लास और धार्मिक आस्था के साथ मनाई। इस मौके पर शोभायात्रा निकाली गई, जो कैंट से शुरू होकर शुभ विदाई गार्डन तक पहुंची। वहां महाराजा दक्ष की प्रतिमा की आरती की गई। अखिल भारतीय प्रजापति समाज के युवाओं ने कई दिनों से इस आयोजन की तैयारियां की थीं। घर-घर जाकर लोगों को आमंत्रित किया गया था। शोभायात्रा में सबसे आगे अश्वों पर समाज के बुजुर्ग बैठे थे, उनके पीछे समाजजन डीजे की धुन पर नाचते-गाते चल रहे थे। यात्रा के अंत में रथ पर महाराजा दक्ष की प्रतिमा विराजमान थी। शोभायात्रा कैंट थाने के सामने से निकलकर हनुमान चौराहा, तेलघानी, जयस्तंभ चौराहा, सदर बाजार, सराफा बाजार, निचला बाजार, हाट रोड होते हुए आंबेडकर चौराहे स्थित शुभ विदाई गार्डन पहुंची। नगरवासियों ने रास्ते भर जगह-जगह महाराजा दक्ष की पूजा-अर्चना की। महाराजा दक्ष के जीवन और महत्व की जानकारी दी समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि महाभारत के अनुसार महाराजा दक्ष की उत्पत्ति ब्रह्मा के अंगूठे से हुई थी। स्कंद पुराण में उनके जीवन की विस्तार से चर्चा की गई है। उन्हें बलशाली, बुद्धिशाली और इच्छाशक्ति सम्पन्न बताया गया है। दक्ष प्रजापति को देवताओं की उत्पत्ति से जोड़कर देखा जाता है। शिव के भभूत-वेश को लेकर दक्ष असंतुष्ट रहते थे उन्होंने बताया कि दक्ष की पुत्री सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था। शिव के साधु जैसे रूप और भभूत-वेश को लेकर दक्ष उनसे असंतुष्ट रहते थे। दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें शिव को आमंत्रित नहीं किया। सती बिना बुलाए वहां पहुंचीं और अपने पति के अपमान से आहत होकर यज्ञकुंड में कूदकर जान दे दी। इसके बाद शिव के गणों ने यज्ञ विध्वंस कर दिया। दुखी शिव, सती का शव लेकर उन्मत्त हो गए। तब भगवान विष्णु ने चक्र से सती के अंग काटे, जो जहां-जहां गिरे, वहां शक्तिपीठ बन गए। ये आज देवी उपासना के प्रमुख स्थल हैं। समाज ने इस आयोजन के जरिए धार्मिक एकता, परंपरा और सामाजिक जागरूकता का संदेश दिया। देखिए तस्वीरें...

गुना में प्रजापति समाज ने मनाई महाराजा दक्ष जयंती:बाजार से होकर निकली शोभायात्रा, नगर में जगह-जगह हुआ स्वागत
प्रजापति समाज ने गुरुवार को महाराजा दक्ष की जयंती पूरे हर्षोल्लास और धार्मिक आस्था के साथ मनाई। इस मौके पर शोभायात्रा निकाली गई, जो कैंट से शुरू होकर शुभ विदाई गार्डन तक पहुंची। वहां महाराजा दक्ष की प्रतिमा की आरती की गई। अखिल भारतीय प्रजापति समाज के युवाओं ने कई दिनों से इस आयोजन की तैयारियां की थीं। घर-घर जाकर लोगों को आमंत्रित किया गया था। शोभायात्रा में सबसे आगे अश्वों पर समाज के बुजुर्ग बैठे थे, उनके पीछे समाजजन डीजे की धुन पर नाचते-गाते चल रहे थे। यात्रा के अंत में रथ पर महाराजा दक्ष की प्रतिमा विराजमान थी। शोभायात्रा कैंट थाने के सामने से निकलकर हनुमान चौराहा, तेलघानी, जयस्तंभ चौराहा, सदर बाजार, सराफा बाजार, निचला बाजार, हाट रोड होते हुए आंबेडकर चौराहे स्थित शुभ विदाई गार्डन पहुंची। नगरवासियों ने रास्ते भर जगह-जगह महाराजा दक्ष की पूजा-अर्चना की। महाराजा दक्ष के जीवन और महत्व की जानकारी दी समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि महाभारत के अनुसार महाराजा दक्ष की उत्पत्ति ब्रह्मा के अंगूठे से हुई थी। स्कंद पुराण में उनके जीवन की विस्तार से चर्चा की गई है। उन्हें बलशाली, बुद्धिशाली और इच्छाशक्ति सम्पन्न बताया गया है। दक्ष प्रजापति को देवताओं की उत्पत्ति से जोड़कर देखा जाता है। शिव के भभूत-वेश को लेकर दक्ष असंतुष्ट रहते थे उन्होंने बताया कि दक्ष की पुत्री सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था। शिव के साधु जैसे रूप और भभूत-वेश को लेकर दक्ष उनसे असंतुष्ट रहते थे। दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें शिव को आमंत्रित नहीं किया। सती बिना बुलाए वहां पहुंचीं और अपने पति के अपमान से आहत होकर यज्ञकुंड में कूदकर जान दे दी। इसके बाद शिव के गणों ने यज्ञ विध्वंस कर दिया। दुखी शिव, सती का शव लेकर उन्मत्त हो गए। तब भगवान विष्णु ने चक्र से सती के अंग काटे, जो जहां-जहां गिरे, वहां शक्तिपीठ बन गए। ये आज देवी उपासना के प्रमुख स्थल हैं। समाज ने इस आयोजन के जरिए धार्मिक एकता, परंपरा और सामाजिक जागरूकता का संदेश दिया। देखिए तस्वीरें...