गाजा में मारे गए पूर्व भारतीय सैन्य अधिकारी के परिवार को उनका पार्थिव शरीर मिलने का इंतजार
गाजा में मारे गए पूर्व भारतीय सैन्य अधिकारी के परिवार को उनका पार्थिव शरीर मिलने का इंतजार
मुंबई, 14 मई। गाजा के रफह स्थित एक अस्पताल में जाते समय हमले की चपेट ने आने से मारे गए सेवानिवृत्त भारतीय कर्नल वैभव अनिल काले का पुणे में रह रहा परिवार उनका पार्थिव शरीर मिलने का इंतजार कर रहा है।
काले ने तीन सप्ताह पहले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा सेवा समन्वय के तौर पर कार्यभार संभाला था।
काले के रिश्तेदार विंग कमांडर प्रशांत कार्डे (सेवानिवृत्त) ने पीटीआई-भाषा को बताया कि 46 वर्षीय पूर्व भारतीय सैन्य अधिकारी के पार्थिव शरीर को काहिरा के जरिए हवाई मार्ग से लाए जाने के बाद दो दिन में पुणे में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
विंग कमांडर कार्डे ने बताया कि कर्नल काले जिस वाहन से यात्रा रहे थे, उस पर संयुक्त राष्ट्र का झंडा लगा था। उन्होंने बताया कि हमला तब हुआ जब वह अस्पताल जा रहे थे।
उन्होंने कहा, वैभव ने तीन साल पहले सेना से सेवानिवृत्ति ले ली थी और वह पुणे में बस गए थे। वह नागपुर के रहने वाले थे और उन्होंने वहां सोमलवार हाईस्कूल से पढ़ाई की थी।
विंग कमांडर कार्डे ने बताया कि पूर्व सेना अधिकारी काले ने संयुक्त राष्ट्र के साथ जुड़ने का फैसला किया क्योंकि वह मानवीय मिशन से जुड़े कार्य करना चाहते थे।
उन्होंने कहा, वैभव की गोली लगने से मौत हो गई और वाहन में उनके साथ मौजूद एक अन्य अधिकारी की हालत गंभीर है और उसका इलाज जारी है।
विंग कमांडर कार्डे ने कहा कि वैभव के शव को काहिरा से लाया जा रहा है और उड़ानों की उपलब्धता के आधार पर उसे या तो मुंबई या पुणे में उतारा जाएगा।
उन्होंने बताया कि भारतीय सेना में सेवाएं देते समय कर्नल काले ने 2009-10 में प्रतिनियुक्ति पर कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भाग लिया था।
कार्डे ने कहा कि वास्तव में उसी दौरान उन्हें संयुक्त राष्ट्र में काम करने की प्रेरणा मिली लेकिन यह काम उनके लिए घातक साबित हुआ।
काले ने कश्मीर में 11 जेएके राइफल्स की कमान संभाली थी और वह महूं में सेना के इन्फैंट्री (पैदल सेना) स्कूल में प्रशिक्षक भी रहे।
उन्होंने कहा, सेना में 1998 में शामिल हुए वैभव ने सेना में अपने दो दशक से अधिक लंबे करियर में पूर्वोत्तर और सियाचिन ग्लेशियर में भी सेवाएं दीं। वह कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स के पूर्व उप कमांडर थे और खुफिया एवं आतंकवाद रोधी अभियानों का हिस्सा थे।
उनके परिवार में उनकी पत्नी अमृता और दो किशोर बच्चे- बेटा वेदांत और बेटी राधिका हैं।
उनके भाई विशाल काले भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन हैं और उनके चचेरे भाई कर्नल अमेय काले भी सेना में हैं।(भाषा)
मुंबई, 14 मई। गाजा के रफह स्थित एक अस्पताल में जाते समय हमले की चपेट ने आने से मारे गए सेवानिवृत्त भारतीय कर्नल वैभव अनिल काले का पुणे में रह रहा परिवार उनका पार्थिव शरीर मिलने का इंतजार कर रहा है।
काले ने तीन सप्ताह पहले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा सेवा समन्वय के तौर पर कार्यभार संभाला था।
काले के रिश्तेदार विंग कमांडर प्रशांत कार्डे (सेवानिवृत्त) ने पीटीआई-भाषा को बताया कि 46 वर्षीय पूर्व भारतीय सैन्य अधिकारी के पार्थिव शरीर को काहिरा के जरिए हवाई मार्ग से लाए जाने के बाद दो दिन में पुणे में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
विंग कमांडर कार्डे ने बताया कि कर्नल काले जिस वाहन से यात्रा रहे थे, उस पर संयुक्त राष्ट्र का झंडा लगा था। उन्होंने बताया कि हमला तब हुआ जब वह अस्पताल जा रहे थे।
उन्होंने कहा, वैभव ने तीन साल पहले सेना से सेवानिवृत्ति ले ली थी और वह पुणे में बस गए थे। वह नागपुर के रहने वाले थे और उन्होंने वहां सोमलवार हाईस्कूल से पढ़ाई की थी।
विंग कमांडर कार्डे ने बताया कि पूर्व सेना अधिकारी काले ने संयुक्त राष्ट्र के साथ जुड़ने का फैसला किया क्योंकि वह मानवीय मिशन से जुड़े कार्य करना चाहते थे।
उन्होंने कहा, वैभव की गोली लगने से मौत हो गई और वाहन में उनके साथ मौजूद एक अन्य अधिकारी की हालत गंभीर है और उसका इलाज जारी है।
विंग कमांडर कार्डे ने कहा कि वैभव के शव को काहिरा से लाया जा रहा है और उड़ानों की उपलब्धता के आधार पर उसे या तो मुंबई या पुणे में उतारा जाएगा।
उन्होंने बताया कि भारतीय सेना में सेवाएं देते समय कर्नल काले ने 2009-10 में प्रतिनियुक्ति पर कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भाग लिया था।
कार्डे ने कहा कि वास्तव में उसी दौरान उन्हें संयुक्त राष्ट्र में काम करने की प्रेरणा मिली लेकिन यह काम उनके लिए घातक साबित हुआ।
काले ने कश्मीर में 11 जेएके राइफल्स की कमान संभाली थी और वह महूं में सेना के इन्फैंट्री (पैदल सेना) स्कूल में प्रशिक्षक भी रहे।
उन्होंने कहा, सेना में 1998 में शामिल हुए वैभव ने सेना में अपने दो दशक से अधिक लंबे करियर में पूर्वोत्तर और सियाचिन ग्लेशियर में भी सेवाएं दीं। वह कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स के पूर्व उप कमांडर थे और खुफिया एवं आतंकवाद रोधी अभियानों का हिस्सा थे।
उनके परिवार में उनकी पत्नी अमृता और दो किशोर बच्चे- बेटा वेदांत और बेटी राधिका हैं।
उनके भाई विशाल काले भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन हैं और उनके चचेरे भाई कर्नल अमेय काले भी सेना में हैं।(भाषा)