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वजन बढ़ने की समस्या से दुनिया की आधे से ज्यादा जनता जूझ रही हैं. लोगों की लाइफस्टाइल ऐसी हो गई है कि उन्हें फिजिकल एक्टिविटी का समय तक नहीं मिल रहा है और लोग धीरे-धीरे मोटे होने लगते हैं. वजन बढ़ने से शरीर में कई बीमारियां हो जाती हैं जो हार्ट अटैक का भी कारण बन सकती हैं. रिसर्च बताती हैं कि कमर का साइज बढ़ने से भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
The Mirror के मुताबिक, ब्रिटेन की एक स्टडी से पता चला है, कमर का साइज बढ़ने से दिल के दौरे का खतरा 10 से 11 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक्सपर्टस ने 430,000 लोगों पर स्टडी की और उसमें पाया कि पेट को कम करने पर ज्यादा प्राथमिकता दी जानी चाहिए. लगभग 40 से 70 वर्ष की उम्र के लोगों के डेटा से पता चला है कि कमर का मोटापा बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के लिए सबसे बड़ा खतरा है. 13 साल की स्टडी से सामने आया है कि कमर का हर इंच बढ़ने पर शरीर में दिल के दौरे और कार्डियक अरेस्ट जैसी समस्याओं का खतरा 4 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. हेल्थ के कुछ एक्सपर्टस का मानना है कि लोगों के शरीर में अगर फैट जमा हो जाता है तो उन्हें शरीर से फैट खत्म करने पर अच्छे से ध्यान देना चाहिए.
लीड के शोधकर्ता डॉ. अयोडिपुपो ओगुंटाडे के मुताबिक, आंतों में जमा फैट से कार्डियोवैस्कुलर डिसीज होने की संभावना ज्यादा होती है इसलिए ये फैट शरीर के लिए खतरनाक हैं. डॉ ओगुंटाडे ने यह भी बताया कि उनकी पहली स्टडी ओबेसिटी पैराडोक्स को उन्होंने खारिज कर दिया है क्योंकि उसमें उन्होंने बताया था कि बुजूर्गों में कम बीएमआई खतरा होता है.
नेशनल ओबेसिटी फोरम के चेयरमैन टैम फ्राई ने कहा कि अगर आपको लगता है कि आप मोटे हैं तो आपके बाथरूम में कहीं न कहीं कमर नापने वाली टेप होनी ही चाहिए. यदि यह टेप आपकी कमर के चारों ओर अच्छी तरह से फिट बैठती है तो आपका वजन एकदम सही है. यदि ऐसा नहीं होता है, तो फैट से युक्त चीजें खाने पर निंयत्रण रखाना जरूरी है.जो दिल की समस्या के जोखिम को कम कर सकती है.
ऑक्सफोर्ड के अध्ययन से यह भी पता चला है कि बीएमआई की बढ़ती इकाई से 9% तक हृदय गति रुकने की संभावना बढ़ जाती है. दिल की धड़कन रूकने की समस्या तब उत्पन्न होती है जब दिल पूरे शरीर में खून पंप नहीं कर पाता है. काम करने के बाद सांस फूलना,ज्यादातर समय थकान महसूस होना, हर समय चक्कर आना और घूटनों और पैरों में सूजन होना जैसे लक्षण सामने आने लगते हैं. कमर को मापने का सही तरीका है नाभि से लगभग एक इंच ऊपर से नापना.
जापान की एक स्टडी में सामने आया है कि वहां 40 से 74 वर्ष की आयु के कर्मचारी और स्थानीय सरकारी लोगों को कमर की वेस्टलाइन का रिकॉर्ड रखना चाहिए. वहां पर राज्य ने पुरूष की कमर 33.5 इंच निर्धारित की है. मिस्टर फ्राई ने बताया है कि जापान में यह एक कानून है जो हर साल पूरी जनता अपनाती है.
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन (बीएचएफ) के एसोसिएट मेडिकल डायरेक्टर जेम्स लीपर के मुताबिक, ज्यादा फैट अक्सर कमर के बढ़ते माप का संकेत हो सकता है जो शरीर में जमा होकर दिल और रक्त वाहिकाओं के काम करने के तरीके को खराब करता है. दिल के दौरे की समस्या एक पुरानी समस्या है जो समय के साथ धीरे धीरे ओर खराब स्थिति धारण कर लेती है. ये सारी स्टडी ये बताती है कि वजन नियंत्रित रहना बहुत जरूरी है.जिन लोगों का वजन ज्यादा होता है उन्हें ज्यादा कोलेस्ट्रॉल, हाइ ब्लड प्रैशर और टाइप 2 डायबिटीज की दिक्कत होती है.
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अगर किसी व्यक्ति को यूरिक एसिड की समस्या हो जाए, तो यह एक बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। ऐसे में इसे कंट्रोल करने के लिए हमें अपनी डाइट में ऐसी सब्जियों और फलों को शामिल करना चाहिए, जिनकी मदद से प्यूरिन तेजी से डाइजेस्ट हो सके।
शरीर में जब प्यूरिन का लेवल बढ़ने लगता है, तो हाई यूरिन एसिड की समस्या हो जाती है। ऐसी स्थिति में आप क्या खा रहे हैं, इसका ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक जिनको भी हाई यूरिक एसिड की दिक्कत होती है, उन्हें अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियों को शामिल करना चाहिए। अगर फल और सब्जियां रेशेदार होंगी, तो उनमें फाइबर की भी काफी ज्यादा मात्रा होगी। जोकि शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में और पेट की मेटाबोलक एक्टिविटी को तेज करने में मदद भी करते हैं। इस प्रोसेस से प्रोटीन भी तेजी से पचने लगता है, और यूरिक एसिड को डाइजेस्ट करने में परेशानी नहीं होती।
हाई यूरिक एसिड को कंट्रोल करेंगी ये सब्जियां और फल
अगर आप भी हाई यूरिक एसिड की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको अपनी डाइट में बिना देर किये ये रेशेदार फल और सब्जियां शामिल कर लेनी चाहिए।
जिमीकंद
यूरिक एसिड की समस्या को तेजी से कम करने में जिमीकंद काफी हद तक मददगार हो सकता है। इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जिससे प्यूरिन को डाइजेस्ट करने में अच्छी खासी मदद मिलती है। यह रेशेदार सब्जी होती है, जो शरीर के अपशिष्ट और विषैले पदार्थों को यूरिन के जरिये बाहर निकालने में मददगार है।
नाशपाती
नाशपाती एक ऐसा फल है, जो रफेज प्यूरिन मेटाबोलिज्म को तेज करने का काम करता है। इसे डाइट का हिस्सा बनाने से हाई यूरिक एसिड की समस्या को कंट्रोल में किया जा सकता है।
संतरा
संतरा यूरिक एसिड की समस्या को कंट्रोल करने में काफी हद तक कारगर फलों में से एक है। इसमें रेशे भी खूब होते हैं, और यह मेटाबोलिक रेट को बढ़ाने का काम करता है। जिससे प्रोटीन तेजी से डाइजेस्ट हो जाता है। अगर आप चाहते हैं, कि आपके शरीर में प्यूरिन ना बढ़े तो खूब संतरे खाएं।
कद्दू
सेहत के लिए कद्दू को गुणों का खजाना माना जाता है। इसका सेवन करने से शरीर में बढ़ी यूरिक एसिड की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
कटहल
कटहल पेट में मौजूद प्यूरिन का मेटाबोलिज्म तेज करने में मदद करता है। इससे पेट के फंक्शन सुचारू रूप से काम करने लगते हैं। अपनी अनगिनत खूबियों के चलते कटहल हाई यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में मददगार है।
नींबू और टमाटर
यूरिक एसिड को कंट्रोल करना चाहते हैं, तो डाइट में टमाटर और नींबू को शामिल करना समझदारी होगी। इन दोनों में ही यूरिक एसिड को कंट्रोल करने की क्षमता होती है। नींबू और टमाटर पेट से प्युरिक को डाइजेस्ट करने में मदद करते हैं।
आलू
आलू खाना अमूमन हर किसी को पसंद होता है। यह एक फैटी फ़ूड है, जिसमें कार्ब्स की मात्रा ज्यादा होती है। लेकिन आलू का रस आपको यूरिक एसिड की समस्या से बचाने में काफी हद तक मदद कर सकता है।
यूरिक एसिड की समस्या से बचने या कंट्रोल करने के लिए आप अपनी डाइट में इन सब्जियों और फलों को शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा आपको उन सब्जियों को खाने से पहरेज करना चाहिए जो प्यूरिन युक्त होती हैं। मशरूम, बींस, भिंडी, हरी मटर, पत्तागोभी, फूलगोभी जैसी सब्जियों से जितनी दूरी बनाकर रखेंगे आपकी हेल्थ के लिए उतना ही अच्छा होगा।
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अनार के दाने ही नहीं बल्कि इसका छिलका भी काफी फायदेमंद होता है. अनार का छिलका चेहरे को ग्लोइंग बनाने के साथ ही टैनिंग को भी दूर करता है. इसके अलावा इसकी मदद से चेहरे की झर्रियों को भी कम किया जा सकता है.
गर्मियों का मौसम आ चुका है. ऐसे में हमें अपनी स्किन की देखभाल करने की खास जरूरत होती है. गर्मियों में पसीना और तेज धूप के कारण हमारी हमारी स्किन डल और टोन हो जाती है. इसके साथ अन्य मौसम के मुकाबले इन दिनों हमारी बॉडी को पानी की आवश्यकता भी अधिक होती है. अगर पानी की कमी हुई तो चेहरे से रौनक भी गायब हो जाती है. ऐसे में हमें पेय पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए. अगर ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है तो आप चाहे फलों के छिलके का इस्तेमाल भी स्किन की देखभाल के लिए कर सकते हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं फलों के छिलकों के फायदें के बारे
अनार
अनार के दाने ही नहीं बल्कि इसका छिलका भी काफी फायदेमंद होता है. अनार का छिलका चेहरे को ग्लोइंग बनाने के साथ ही टैनिंग को भी दूर करता है. इसके अलावा इसकी मदद से चेहरे की झर्रियों को भी कम किया जा सकता है. अनार के छिलकों को सूखा ले और फिर इसे पीस लें. अब दो चम्मच पाउडर में दो चम्मच गुलाब जल मिला कर अच्छे से मिक्स कर लें. इसके बाद इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगा लें. 20 से 25 मिनट के बाद साफ पानी से अपना चेहरा साफ कर लें.
संतरा
गर्मी के दिनों में संतरा हर घर में पाया जाता है. ऐसे में आप इसके छिलकों को सूखा कर स्टोर कर के भी रख सकते हैं. संतरे का छिलक चेहरे से दाग धब्बे, पिंपल्स और टैनिंग को दूर करने में मदद करता है. संतरे के छिलका को बारिक पीस कर इसका पेस्ट बना लें. इसके बाद इसमें जो चम्मच कच्चा दूध और दो चुटकी हल्दी डाल दें. अब अच्छे से इसका पेस्ट बनाकर और इसके अपने चेहरे पर लगा लें.
नींबू
नींबू के छिलके को पीसकर पेस्ट बनाकर इसका इस्तेमाल चेहरे पर फेस पैक की तरह से कर सकते हैं. इसके साथ ही आप नींबू का रस निकालने के बाद इन छिलकों को सीधे तौर पर भी चेहरे पर हल्के हाथों से रगड़ कर इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे चेहरे की त्वचा साफ़ होती है और ग्लो बढ़ता है.
पपीता
पपीता के छिलके को सूखा लें और इसे बारीक पीस लें. अब दो चम्मच पाउडर में एक चम्मच ग्लिसरिन मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को चेहरे पर अच्छे से लगाएं. इसके बाद जब फेसपैक सूख जाएं तो साफ पानी से चेहरा धो लें. पपीता का छिलका आपके चेहरे की चमक को बढ़ाएगा. इसके साथ ही रूखापन भी दूर करेगा.