- Home
- धर्म-अध्यात्म
-
शिव के बारे में सद्गुरु का एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है और इसकी वजह है सुदीप्तो सेन के निर्देशन में बनी फिल्म ''द केरला स्टोरी'' फिल्म. ये फिल्म लगातार विवादों में है. दरअसल, इस फिल्म में दिखाया गया है कि केरल में हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण करवा कर उन्हें कट्टरपंथी बनाकर उग्रवादी इस्लामी समूह ISIS के लिए लड़ने पर मजबूर किया जाता है.
फिल्म में अपने हिंदू दोस्त के धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से, एक मुस्लिम महिला हिंदू भगवान शिव का मज़ाक उड़ाते हुए कहती है कि "जो अपनी पत्नी की मृत्यु पर एक आम आदमी की तरह रोता है, वह भगवान कैसे हो सकता है?” दरअसल, सद्गुरु ने कोयम्बटूर के ईशा योग केंद्र में 2022 के महाशिवरात्रि समारोह के दौरान पूछे गए इसी तरह के एक सवाल का जवाब दिया था. साधक ने सद्गुरु से पूछा, “ऐसा माना जाता है कि शिव सती को खोने पर बहुत ज्यादा दुखी हुए थे. शिवजी तो एक भगवान है, वो कैसे मोह में फंसकर दुखी हो गए?”
अपने अचूक तर्क से जिज्ञासापूर्ण सवाल का उत्तर देते हुए, सद्गुरु कहते हैं, "आप उनसे क्या करने की उम्मीद करते थे? एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में उनकी पत्नी जिंदा जल गईं. जिसे आप बहुत प्रिय मानते हैं, उसे जब आप जला हुआ देखते हैं और आप जानते हैं कि आग आपको कोमलता से नहीं मारती. जब उनकी प्रिय पत्नी को जिंदा जला दिया जाता है, तो आपके अनुसार उन्हें क्या करना चाहिए था?”
“आगे समझाते हुए सद्गुरु जोर देकर कहते हैं, अगर वे बहुत ज्यादा दुखी नहीं होते, तो मैं उन्हें बिलकुल भी भगवान नहीं मानता. वो निर्जीव चीज़ों की प्रकृति है. जब पेड़ों को दुख होता है, तो वे भी अपने ही तरीके से विलाप करते हैं, जानवर भी दुखी होते हैं. आपको लगता है कि शिव उनसे कम हैं? नहीं. उनका दुख बहुत तीव्र है लेकिन वे इसमें फँसे हुए नहीं हैं. हां, उन्होंने कुछ समय के लिए बहुत तीव्र दुख का अनुभव किया और इसीलिए हम उनकी कद्र करते हैं, क्योंकि वे अमानवीय नहीं हैं. अगर आप मुझसे पूछें तो वे एक महामानव हैं. तो, उनके अन्दर हर चीज बढ़ी हुई है."
"द केरला स्टोरी" बॉक्स ऑफिस पर तोड़ रही कई रिकॉर्ड
एक्ट्रेस अदा शर्मा की "द केरला स्टोरी" बॉलीवुड रिकॉर्ड तोड़ रही है और 100 करोड़ क्लब में प्रवेश कर चुकी है. फिल्म के रिलीज होने के बाद से, अदा शर्मा ने दावा किया है कि फिल्म की वजह से चल रहे विवाद के कारण उन्हें जान से मारने की बहुत सारी धमकियां भी मिल रही हैं.
#dharm #krishna #radhe #vrindavan #lordkrishna #radharani #mahabharat #radheradhe #radha #radhakrishn #radhakrishna #krishnaquotes #janmashtami #realswastik #madhav #dwarkadhish #krishnaradha #bhagavadgita #krishnathoughts #krishnavani #bhagwadgeeta #mahadev #sumedh #beatking #god #happyjanmashtami #gokul #ramayana #hindu #quotesdaily
-
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है. ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती भी कहते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि इस दिन शनि देव का प्राकट्य हुआ था. इसलिए इस दिन उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन शनि देव की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा मिलती है. जिन लोगों पर शनीकृत पीड़ा चल रही है, उन्हें शनि का आशीर्वाद मिल सकता है. शनि को प्रसन्न करने के बाद नया वाहन, सोना-चांदी और मकान-संपत्ति आदि का लाभ आपको मिल सकता है.
ज्योतिषविद का कहना है कि भाग्यवान व्यक्ति के जीवन में शनि की साढ़ेसाती 4 बार आती है. जबकि सामान्य व्यक्ति के जीवन में 2 या 3 बार शनि की साढ़ेसाती आती है. जबकि ढैय्या चंद्र राशि के आधार पर तय होती है. ये आपके जीवन में किए गए कर्मों का फल देने के लिए आती हैं. शनि न्यायाधीश का कार्य करते हैं और यह तब पीड़ा देंगे जब आपने कोई बुरा कार्य किया होगा. अच्छे कर्म करने वाल निश्चित ही ये आपको शुभ परिणाम देंगी.
साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत
साढ़ेसाती का मतलब साढ़े 7 साल है. यदि शनि की साढ़ेसाती आपको परेशान कर रही है तो शनि के मंत्रों का जाप करें. शनि की वस्तुओं और सरसों के तेल का दान करें. शिवलिंग के ऊपर काले तिल जल में मिलाकर चढ़ाएं. आपको साढ़ेसाती और ढैय्या का दुष्प्रभाव से राहत मिल जाएगी. यदि आप चरित्ररिक रूप से अच्छे हैं. भजन-भोजन करने में शुद्धता रखते हैं तो शनि आपको पीड़ा नहीं देगा.
यदि साढ़ेसाती और ढैय्या के कारण आपकी आर्थिक स्थिति डगमगा रही है तो निश्चित ही इसका विशेष उपाय करना पड़ता है. पारद शिवलिंग का सरसों के तेल से रूद्राभिषेक करें. हनुमान जी की सेवा करने वाले व्यक्ति को कभी शनिदेव कष्ट नहीं देते हैं. उन्होंने स्वयं बजरंगबली को ये वचन दिया था. इनकी उपासना से कभी शत्रु आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे.
#shanidev #shani #mahadev #hanuman #india #hindu #bajrangbali #shiva #harharmahadev #mahakaal #kedarnath #omnamahshivaya #ganpati #shambhu #adishakti #amarnath #kalima #kalika #adiyogi #incredibleindia #shivling #hindutva #parvati #shivoham #omsairam #shivholic #painting #pashupati #kartikeymalviya #aghor
-
ज्योतिषशास्त्र की तरह अंक ज्योतिष से भी जातक के भविष्य, स्वभाव और व्यक्तित्व का पता लगता है। जिस तरह हर नाम के अनुसार राशि होती है उसी तरह हर नंबर के अनुसार अंक ज्योतिष में नंबर होते हैं। अंकशास्त्र के अनुसार अपने नंबर निकालने के लिए आप अपनी जन्म तिथि, महीने और वर्ष को इकाई अंक तक जोड़ें और तब जो संख्या आएगी, वही आपका भाग्यांक होगा। उदाहरण के तौर पर महीने के 2, 11 और 20 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 2 होगा। जानें कैसा रहेगा आपका 12 मई का दिन...
मूलांक 1- आज आपका दिन खुशनुमा रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में वातावरण आपके अनुकूल रहेगा। मन प्रसन्न रहेगा। पहले से अटके हुए कार्य बन सकेंगे। व्यापार में अचानक लाभ के अवसर सामने आएंगे। आर्थिक मामलों में सफलता मिलेगी। मेहनत से किए कार्यों के शुभ परिणाम सामने आएंगे। आपका स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। पुराने मित्रों से मुलाकात संभव है। परिवार के साथ कहीं यात्रा पर जाने का कार्यक्रम बन सकता है।
मूलांक 2- आज आप उत्साह से परिपूर्ण रहेंगे। कार्यक्षेत्र और व्यापार में वातावरण आपके अनुकूल रहेगा। साथियों का सहयोग मिलेगा। अधिकारियों का सानिध्य प्राप्त होगा। नई योजनाओं पर कार्य आरंभ कर सकते हैं। व्यापार में लाभ के नए अवसर सामने आएंगे। परिवार में खुशियों का वातावरण रहेगा। दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी। मौसम के बदलाव से आपका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। वाहन के प्रयोग में सावधानी बरतें।
मूलांक 3- आज आपका दिन सामान्य रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में वातावरण आपके अनुकूल कम ही रहेगा। मन में किसी बात को लेकर चिंता बनी रहेगी। व्यय की अधिकता रहेगी। नई योजनाओं पर कार्य आरंभ न करें। बनते हुए कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं। किसी पर भी आंख मूंदकर भरोसा न करें। परिवार का सहयोग मिलेगा। पेट के रोग आपको परेशान कर सकते हैं। खानपान पर नियंत्रण रखें।
मूलांक 4- आज आपका दिन मिला जुला असर देने वाला रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में सावधानी से कार्य करें। विरोधी सक्रिय हो सकते हैं। विवादों की स्थिति से दूर रहें। अपने व्यवहार में सौम्यता बनाए रखें। व्यापारिक प्रतिस्पर्धा की स्थिति से दूर रहें। महत्वपूर्ण मामलों में भावुकता में आकर निर्णय न लें। परिवार में किसी बात पर अनबन हो सकती है। मानसिक तनाव आपको परेशान कर सकता है। परिवार में किसी का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
मूलांक 5- आज आपका दिन मिला जुला असर देने वाला रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में सावधानी से कार्य करें। नई योजनाओं पर कार्य आरंभ करना चाहते हैं तो किसी अनुभवी से सलाह अवश्य कर लें। कार्यक्षेत्र में विरोधी सक्रिय हो सकते हैं। व्यापार में लाभ के अवसर सामने आएंगे, लेकिन व्यापारिक प्रतिस्पर्धा की स्थिति से दूर रहें। परिवार में किसी का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। मानसिक तनाव आपको परेशान कर सकता है। वाहन के प्रयोग में सावधानी बरतें।
मूलांक 6- आज कार्यक्षेत्र और व्यापार में आपको भाग्य का साथ मिलेगा। नई योजनाओं पर कार्य आरंभ कर सकते हैं। व्यापार में लाभ के अवसर सामने आएंगे। आपकी ख्याति में वृद्धि होगी। कार्यक्षेत्र में आपके कार्यों को प्रशंसा मिलेगी। व्यय की अधिकता रहेगी। नई योजनाओं पर कार्य आरंभ करने से पहले किसी अनुभवी से सलाह अवश्य कर लें। परिवार का सहयोग मिलेगा। दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी। आपका स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। संतान पक्ष से शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है।
मूलांक 7- आज आपका दिन उपलब्धियों भरा हो सकता है। कार्यक्षेत्र और व्यापार में सफलता मिलेगी। पहले से अटके हुए कार्य गति पकड़ेंगे। व्यापार में अचानक लाभ के अवसर सामने आएंगे। मन में प्रसन्नता का भाव रहेगा। कार्यक्षेत्र में आपके कार्यों को प्रशंसा मिलेगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। परिवार में खुशियों का वातावरण रहेगा। पुराने मित्रों से मुलाकात संभव है। पेट के रोग आपको परेशान कर सकते हैं। खानपान पर नियंत्रण रखें।
मूलांक 8- आज आपका दिन खुशनुमा रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में वातावरण आपके अनुकूल रहेगा। साथियों के सहयोग से मुश्किल कार्य भी बन सकेंगे। व्यापार में लाभ के अवसर सामने आएंगे। महत्वपूर्ण मामलों में भावनाओं में बहकर निर्णय न लें। मेहनत से किए गए कार्यों में सफलता मिलेगी। साथियों के सहयोग से मुश्किल कार्य भी बन सकेंगे। एकाग्रता बनाए रखें। व्यय की अधिकता रहेगी। परिवार का सहयोग मिलेगा।
मूलांक 9- आज आपका दिन सामान्य रहेगा। आर्थिक मामलों में सावधानी बरतें। कार्यक्षेत्र और व्यापार में उतार चढ़ाव की स्थिति रहेगी। नई योजनाओं पर कार्य आरंभ न करें। बनते हुए कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं। अनुशासित होकर कार्य करें। जोखिमभरे मामलों में निर्णय टाल दें। किसी भी कार्य में जल्दबाजी न करें। व्यय की अधिकता रहेगी। परिवार का सहयोग मिलेगा। दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी। वाहन के प्रयोग में सावधानी बरतें।
#jyotish #astrology #astrologer #vedicastrology #horoscope #vastu #numerology #astro #love #vastutips #vastuexpert #vedicastrologer #vastushastra #india #numerologist #vastuconsultant #spiritual #astrotips #astrologyposts #astroworld #vedic #vaastu #astrologersofinstagram #jyotishastrology #vastutip #home #vasturemedies #vastuhome #vastulogy #vastudesign
-
हनुमानजी जब लंका से लौटकर आये तो राम जी ने उनको पूछा कि , रामजी के वियोग में सीताजी अपने प्राणों की रक्षा कैसे करती हैं ?
तो हनुमान जी ने जो जवाब दिया आप सभी को सुझाव है कि उसे याद कर लें ।सीता जी ने अपने प्राणों की रक्षा कैसे की ये हनुमानजी के वचन हैं जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के सुंदरकांड में वर्णित करते हुए लिखा है।नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट ।लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहिं बाट ॥आइए इस दोहे का अर्थ समझते हैं ।' नाम पाहरू दिवस निसि ' सीता जी के चारों तरफ आप के नाम का पहरा है । क्योंकि वे रात दिन आप के नाम का ही जप करती हैं । सदैव राम जी का ही ध्यान धरती हैं और जब भी आँखें खोलती हैं तो अपने चरणों में नज़र टिकाकर आप के चरण कमलों को ही याद करती रहती हैं ।तो ' जाहिं प्रान केहिं बाट '..... सोचिये की आप के घर के चारों तरफ कड़ा पहरा है । छत और ज़मीन की तरफ से भी किसी के घुसने का मार्ग बंद कर दिया है, क्या कोई चोर अंदर घुस सकता है..? ऐसे ही सीता जी ने सभी ओर से श्री रामजी का रक्षा कवच धारण कर लिया है ..इस प्रकार वे अपने प्राणों की रक्षा करती हैं ।माना जाता है कि इस कवच के जाप करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं तथा संकट से प्राणों की रक्षा होती है।सनातनी परंपरा और सनातनी धर्म ग्रंथों के संदेशों को जानने और सनातनी बंधुओं से जुड़ने के लिए आप सभी सादर आमंत्रित हैं। आप सभी नीचे दिए गए लिंक पर जाकर रामायण संदेश के आधिकारिक फेसबुक ग्रुप में ज्वाइन कर सकते हैं।????जय श्रीराम ????????जय बजरंग बली ???? -
आज तीनों लोकों के पालनहार प्रभु श्रीराम जी का जन्मोत्सव है। प्रभु के श्री चरणों में प्रणाम करते हुए प्रभु से प्रार्थना है कि प्रभु आप सभी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें और उनकी कृपा से सम्पूर्ण विश्व में मंगल ही मंगल होगा।
महाकवि गोस्वामी तुलसी दास जी ने राम चरित मानस के बालकांड में बहुत ही ह्रदय स्पर्शी रूप से प्रभु श्रीराम के प्राकट्य का वर्णन किया है। आइये भगवान् के प्राकट्य और बाललीला का आनंद गोस्वामी जी के शब्दों में लें।नौमी तिथि मधु मास पुनीता । सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीतामध्य दिवस अति सीत न घामा । पावन काल लोक बिश्रामा ।।पवित्र चैत्र का महीना था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित मुहूर्त था। न बहुत सर्दी थी, न धूप ( गर्मी ) थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था।सीतल मंद सुरभि बह बाऊ । हरषित सुर संतन मन चाऊ ।।बन कुसुमित गिरिगन मनिआरा । स्त्रवहिं सकल सरिता अमृत धारा ।।शीतल, मन्द और सुगंधित ( तीनों प्रकार का ) वायु बह रहा था। देवता हर्षित थे और संतों के मन में ( बड़ा ) चाव था। वन फूलें हुए थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियाँ अमृत की धारा बहा रहीं थीं।सो अवसर बिरंचि जब जाना । चले सकल सुर साजि बिमाना ।गगन बिमल संकुल सुर जूथा । गावहिं गुन गंधर्ब बरूथा ।।जब ब्रह्मा जी ने वह ( भगवान के प्रकट होने का ) अवसर जाना, तब उनके समेत सारे देवता विमान सजा-सजा कर चले। निर्मल आकाश देवताओं के समूहों से भर गया। गंधर्वों के दल गुणों का गान करने लगे।बरषहिं सुमन सुअंजुलि साजी । गहगहि गगन दुदंभी बाजी ।।अस्तुति करहिं नाग मुनि देवा । बहुबिधि लावहिं निज निज सेवा ।।और सुन्दर अञ्जुलियों में सजा-सजा कर पुष्प बरसाने लगे । आकाश में घमाघम नगाड़े बजने लगे । नाग, मुनि और देवता स्तुति करने लगे और बहुत प्रकार से अपनी-अपनी सेवा ( उपहार ) भेंट करने लगे।दोहा - सुर समूह बिनती करि पहुँचें निज निज धाम ।जगनिवास प्रभु प्रगटे अखिल लोक बिश्राम ।।देवताओं के समूह प्रार्थना करके अपने-अपने लोक में जा पहुँचे। समस्त लोकों को शांति देने वाले, जगदाधार प्रभु प्रकट हुए।छन्द - भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी ।हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ।।लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी ।भूषन बनमाला नयन बिसाला शोभासिंधु खरारी ।।दीनों पर दया करने वाले, कौशल्या जी के हितकारी कृपालु प्रभु प्रकट हुए। मुनियों के मन को हरने वाले उनके अद्भुत रूप का विचार करके माता हर्ष से भर गयी। नेत्रों को आनन्द देने वाला मेघ के समान श्याम शरीर था ; चारों भुजाओं में अपने ( खास ) आयुध ( धारण किये हुए ) थे ; ( दिव्य ) आभूषण और वनमाला पहने थे ; बड़े-बड़े नेत्र थे। इस प्रकार शोभा के समुद्र तथा खर राक्षस को मारने वाले भगवान प्रकट हुए।कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता ।माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता ।।करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता ।।दोनों हाथ जोड़ कर माता कहने लगी - हे अनन्त ! मैं किस प्रकार तुम्हारी स्तुति करूँ। वेद और पुराण तुमको माया, गुण और ज्ञान से परे और परिणाम रहित बतलाते हैं। श्रुतियाँ और संतजन दया और सुख का समुद्र, सब गुणों के धाम कह कर जिनका गुण-गान करते हैं, वही भक्तों पर प्रेम करने वाले लक्ष्मीपति भगवान मेरे कल्याण के लिए प्रकट हुए हैं।ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै ।मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै।।उपजा जब ग्याना प्रभु मुस्काना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ।।वेद कहते हैं कि तुम्हारे प्रत्येक रोम में माया के रचे हुए अनेक ब्रह्मांडों के समूह ( भरे ) हैं। वे तुम मेरे गर्भ में रहे- इस हंसी की बात के सुनने पर धीर ( विवेकी ) पुरुषों की बुद्धि भी स्थिर नहीं रहती ( विचलित हो जाती है ) । जब माता को ज्ञान उत्पन्न हुआ, तब प्रभु मुस्कुराये । वे बहुत प्रकार के चरित्र करना चाहते हैं। अत: उन्होंने ( पूर्व जन्म की ) सुन्दर कथा कह कर माता को समझाया, जिससे उन्हें पुत्र का ( वात्सल्य ) प्रेम प्राप्त हो ( भगवान के प्रति पुत्रभाव हो जाय ) ।माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा ।कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ।।सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा ।यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहि भवकूपा ।।माता की वह बुद्धि बदल गयी, तब वह फिर बोली - हे तात ! यह रूप छोड़ कर अत्यंत प्रिय बाल लीला करो, ( मेरे लिए ) यह सुख परम अनुपम होगा। ( माता का ) यह वचन सुनकर देवताओं के स्वामी सुजान भगवान ने बालक ( रूप ) होकर रोना शुरू कर दिया। ( तुलसीदास जी कहते हैं - ) जो इस चरित्र का गान करते हैं,, वे श्री हरि का पद पाते हैं और ( फिर ) संसार रूपी कूप में नहीं गिरते।दोहा - बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार ।निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार ।।ब्राह्मण, गाय, देवता और संतों के लिए भगवान ने मनुष्य का अवतार लिया। वे ( अज्ञानमयी, मलिना ) माया और उसके गुण ( सत्, रज, तम ) और ( बाहरी तथ भीतरी ) इन्द्रियों से परे हैं। उनका शरीर अपनी इच्छा से ही बना है ( किसी कर्मबन्धन से परवश हो कर त्रिगुणात्मक भौतिक पदार्थों के द्वारा नहीं ) ।सार -ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रभु श्री राम का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न में दोपहर के समय में हुआ था। उस समय अभिजीत महूर्त था। जब भगवान राम का जन्म हुआ जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में उपस्थित थे। जो किसी साधारण मनुष्य के जन्म के समय नहीं होता है।