विश्व कुश्ती की सर्वोच्च संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने भारत पर लगाया गया अस्थाई निलंबन हटा दिया है. लेकिन संस्था ने कुछ शर्तें भी रखी हैं.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने भारत से प्रतिबंध हटाने के साथ ही भारतीय कुश्ती महासंघ से कहा है कि वह प्रदर्शनकारी पहलवानों बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्रवाई ना करे.
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के समय पर चुनाव नहीं करा पाने के कारण यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने पिछले साल 23 अगस्त को उसे निलंबित कर दिया था. यह निलंबन करीब पांच महीने चला जिसके बाद 13 फरवरी को यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने तुरंत प्रभाव से निलंबन हटा दिया है.
डब्ल्यूएफआई यौन उत्पीड़न कांड से उबरने की कोशिश कर रहा है. पिछले साल दिसंबर में डब्ल्यूएफआई को उस वक्त झटका लगा जब खेल मंत्रालय ने संस्था को निलंबित कर दिया और इसके द्वारा चुने गए अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया.
डब्ल्यूएफआई के तत्कालीन अध्यक्ष और बीजेपी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी का आरोप लगने के बाद यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की थी.
बृजभूषण पर लगा था यौन शोषण का आरोप
बृजभूषण शरण सिंह पर कुछ महिला खिलाड़ियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था और उसके बाद बृजभूषण ने डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के बाद पद खाली था और 21 दिसंबर को हुए चुनाव में संजय सिंह महासंघ के अध्यक्ष चुने गए थे. संजय सिंह बृजभूषण के करीबी बताए जाते हैं.
बृजभूषण के करीबी के चुनाव जीतने के विरोध में ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती को अलविदा कह दिया था. यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने बाद में कहा था कि डब्ल्यूएफआई को अपना निलंबन हटवाने के लिए महिला पहलवानों की सुरक्षा करने की जरूरत हो सकती है.
चुनाव के लिए शर्तें
यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने कहा कि उसके अधिकारियों ने 9 फरवरी को बैठक की और निष्पक्ष व्यवहार के आश्वासन समेत कुछ शर्तों के तहत निलंबन हटाने का फैसला किया. यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने एक बयान में कहा, डब्ल्यूएफआई को अपने चुनाव फिर से आयोजित कराने होंगे. इस आयोग के उम्मीदवार सक्रिय खिलाड़ी होंगे या चार साल से अधिक समय से सेवानिवृत्त नहीं होंगे. मतदाता सिर्फ खिलाड़ी होंगे.
बयान में आगे कहा गया, यह चुनाव ट्रायल या किसी सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप के दौरान किया जा सकता है, लेकिन चुनाव 1 जुलाई, 2024 से पहले कराने होंगे.
यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने साथ ही कहा है कि डब्ल्यूएफआई को तुरंत यूडब्ल्यूडब्ल्यू को लिखित गारंटी देनी होगी कि सभी पहलवानों को सभी डब्ल्यूएफआई आयोजनों, विशेष रूप से ओलंपिक खेलों और किसी भी अन्य प्रमुख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए बिना किसी भेदभाव के भाग लेने के लिए विचार किया जाएगा.
यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने कहा है कि जिन खिलाड़ियों के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा उनमें वह तीन पहलवान भी शामिल हैं जिन्होंने पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के कथित गलत कामों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.
यह फैसला पेरिस ओलंपिक से पहले भारतीय पहलवानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. भारतीय पहलवान अब अगले यूडब्ल्यूडब्ल्यू कार्यक्रम में देश के झंडे के तले मुकाबला कर पाएंगे.
साल 2011 से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद पर बृजभूषण सिंह का कब्जा था, लेकिन जब महिला पहलवानों ने उनपर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया तो उन्हें इस पद से इस्तीफा देना पड़ा.(dw.com)
विश्व कुश्ती की सर्वोच्च संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने भारत पर लगाया गया अस्थाई निलंबन हटा दिया है. लेकिन संस्था ने कुछ शर्तें भी रखी हैं.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने भारत से प्रतिबंध हटाने के साथ ही भारतीय कुश्ती महासंघ से कहा है कि वह प्रदर्शनकारी पहलवानों बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्रवाई ना करे.
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के समय पर चुनाव नहीं करा पाने के कारण यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने पिछले साल 23 अगस्त को उसे निलंबित कर दिया था. यह निलंबन करीब पांच महीने चला जिसके बाद 13 फरवरी को यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने तुरंत प्रभाव से निलंबन हटा दिया है.
डब्ल्यूएफआई यौन उत्पीड़न कांड से उबरने की कोशिश कर रहा है. पिछले साल दिसंबर में डब्ल्यूएफआई को उस वक्त झटका लगा जब खेल मंत्रालय ने संस्था को निलंबित कर दिया और इसके द्वारा चुने गए अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया.
डब्ल्यूएफआई के तत्कालीन अध्यक्ष और बीजेपी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी का आरोप लगने के बाद यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की थी.
बृजभूषण पर लगा था यौन शोषण का आरोप
बृजभूषण शरण सिंह पर कुछ महिला खिलाड़ियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था और उसके बाद बृजभूषण ने डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के बाद पद खाली था और 21 दिसंबर को हुए चुनाव में संजय सिंह महासंघ के अध्यक्ष चुने गए थे. संजय सिंह बृजभूषण के करीबी बताए जाते हैं.
बृजभूषण के करीबी के चुनाव जीतने के विरोध में ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती को अलविदा कह दिया था. यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने बाद में कहा था कि डब्ल्यूएफआई को अपना निलंबन हटवाने के लिए महिला पहलवानों की सुरक्षा करने की जरूरत हो सकती है.
चुनाव के लिए शर्तें
यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने कहा कि उसके अधिकारियों ने 9 फरवरी को बैठक की और निष्पक्ष व्यवहार के आश्वासन समेत कुछ शर्तों के तहत निलंबन हटाने का फैसला किया. यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने एक बयान में कहा, डब्ल्यूएफआई को अपने चुनाव फिर से आयोजित कराने होंगे. इस आयोग के उम्मीदवार सक्रिय खिलाड़ी होंगे या चार साल से अधिक समय से सेवानिवृत्त नहीं होंगे. मतदाता सिर्फ खिलाड़ी होंगे.
बयान में आगे कहा गया, यह चुनाव ट्रायल या किसी सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप के दौरान किया जा सकता है, लेकिन चुनाव 1 जुलाई, 2024 से पहले कराने होंगे.
यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने साथ ही कहा है कि डब्ल्यूएफआई को तुरंत यूडब्ल्यूडब्ल्यू को लिखित गारंटी देनी होगी कि सभी पहलवानों को सभी डब्ल्यूएफआई आयोजनों, विशेष रूप से ओलंपिक खेलों और किसी भी अन्य प्रमुख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए बिना किसी भेदभाव के भाग लेने के लिए विचार किया जाएगा.
यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने कहा है कि जिन खिलाड़ियों के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा उनमें वह तीन पहलवान भी शामिल हैं जिन्होंने पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के कथित गलत कामों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.
यह फैसला पेरिस ओलंपिक से पहले भारतीय पहलवानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. भारतीय पहलवान अब अगले यूडब्ल्यूडब्ल्यू कार्यक्रम में देश के झंडे के तले मुकाबला कर पाएंगे.
साल 2011 से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद पर बृजभूषण सिंह का कब्जा था, लेकिन जब महिला पहलवानों ने उनपर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया तो उन्हें इस पद से इस्तीफा देना पड़ा.(dw.com)